पिछले पोस्ट में हमने सिविल पुलिस के एक ड्यूटी नाकाबंदी तथा रेड(Nakabandi ttha raid) के बारे में जानकारी हासिल किये और इस पोस्ट में हम लोकल पुलिस की एक और ड्यूटी अपराधियो को निगरानी में रखना के बारे में जानकारी हिंदी में हासिल करे और जानेगे की निगरानी और शाडोविंग (Nigrani aur shadowing in hindi) में क्या अंतर होता है ! निगरानी कब कब और किस पे रखी जाती है !
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निगरानी(nigrani kya hota hai): निगरानी से मतलब है किसी व्यक्ति या अपराधी के ऊपर गुप्त तरीके से नजर रखना तथा उसकी गतिबिधिया और अन्य सूचनाये इकठ्ठा करना ! निगरानी किस के ऊपर रखनी और कैसी रखनी इसके बारे में सभी पुलिस जिला में स्थायी आदेश बना रहता है और उसको अनुपालन करते हुए ही किसी के ऊपर निगरानी रखा जाता है ! निगरानी किसी अपराधी का किया जाता जबकि किसी सब्जेक्ट की शाडोविंग किया जाता है !
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निगरानी का उद्देश्य(nigrani ka uddeshy kya hota hai) :
Shadowing |
- किसी अपराधी के बारे में सुचनाये इकट्ठा करना और पकड़ना
- किसी स्थान अपराध विशेष जैसे जुआखाना , अनैतिक देह व्यापर वाला स्थान , नशीला पदार्थ रखने के स्थान आदि गतिविधिओ को पता लगाना !
- अपरधियो के अन्दर सुधार लाने के लिए ,
- एरिया में शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए ,
- अपराध सम्बंधित बस्तुओ का पता लगाने के लिए !
किन किन व्यक्तिओ के ऊपर निगरानी राखी जाती है (kin kin vyaktio ke upar nigrani rakhi jati hai)
- इलाके के उन अपराधियो के जिनका क्राइम रिकॉर्ड थाने में दर्ज हो !
- एरिया में उभरते हुए अपराधियो के ऊपर
- नशीले पदार्थो का धंधा करने वालो के ऊपर ,
- COFE POSA में सामिल व्यक्तिओ के ऊपर !
- कोई ऐसा व्यक्ति जो CrPc 110 के अंतर्गत पाबंद किया गया हो !
- धरा 432 और 356 के अंतर्गत छोड़े हुए अपराधियो को !
- या किसी व्यक्ति विशेष जिसके बारे में कोई अपराध में संलिप्त की गुप्त सुचना मिली हो !
निगरानी रखते समय ध्यान में रखने वाली अवश्यक बाते(nigrani me rakhte samay dhyan me rakhne wali bate) :
- किसी सक्षम पुलिस कर्मी को ही निगरानी के लिए इस्तेमाल करना चाहिए !
- निगरानी में लगाया गया पुलिसकर्मी को उस एरिया की पूर्ण ज्ञान होना चाहिए !
- एरिया का रीती रिवाज़ तथा भेषभूषा की पूरी जानकारी होनी चाहिए !
- कोई ऐसा कार्य न करे जिससे की निगरानी जिसके ऊपर राखी गई हो वो शक करे या उसे पता चल जाये !
- निरानी के दौरान कोई सीनियर अधिकारी आजाये तो उसे सैलूट नहीं मारनी चाहिए नहीं तो पहचान जाहिर हो जायेगा !
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- निगरानी के दौरान इस्तमाल होने वाली कुछ इशारे पहले से मुकरर कर लेनी चाहिए !
- निगरानी करने वाला पुलिसकर्मी को अपना व्यक्तिगत सुरक्षा का ध्यान हमेशा रखना चाहिए !
- अगर अपराधी को पता चलगया की उसके ऊपर निगरानी राखी जारही है तो निगारी को अस्थाई रूप से रोक देना चाहिए !
- अपराधी की खास आदते और कमजोरियो को नोट करना चाहिए !
- उस व्यक्ति का आय का स्रोत का पता लगाना चाहिए !
- उससे मिलने आने वाले व्यक्तिओ की सूचना रखना चाहिए और अगर जरुरत महसूस हुआ तो उनके ऊपर भी निगरानी रखनी चाहिए !
- वह व्यक्ति कहकहा जाता है वह वह जाना चाहिए और उन स्थानों के गतिविधियों के बारे में जानकारी इकठ्ठा करना चाहिए !
- सस्पेक्ट के पीछे छाया की तरह लगे रहना चाहिए यदि ,
- कभी कभी सातिर अपराधी को शक होता है की उसके ऊपर कोई निगरानी रख रहा है तो वह अपना चलने का रफ़्तार या तो बढ़ा देता है या कम कर देता है उस समय पुलिसकर्मी को भी उतनी ही चालाकी से एक्ट करना चाहिए की वह सातिर अपराधी को शक न हो ! अगर अपराधी अचानक रुक गया तो पुलिसकर्मी को रुकना नहि चाहिए बल्कि थोडा आगे निकल जाना चाहिए !
- पुलिसकर्मी को हमेशा अपना सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना चाहिए !
- बहुत बार अपराधी किसी घर या दुकान में घुस जाता है ऐसे समय पुलिस कर्मी को कोई ऐसा कार्य न करना चाहिये की अपराधी को उसके ऊपर शक हो !
किसी के ऊपर निगरानी रखने का मतलब है की उसके निजता के अन्दर दखलंदाजी करना इसलिए निगरानी किसी भी अपराधी या व्यक्ति को रखने से पहले निगरानी में रखने की जितनी कानूनी प्रिकिया है सबको अच्छी तरह से फॉलो करने के बाद ही निगरानी सुरु करनी चाहिए !
इस प्रकार से हम किस अपराधी या सस्पेक्ट के ऊपर निगरानी रखने से सम्बंधित यह पोस्ट समाप्त हुई उम्मीद है की आप को पसंद आएगी !इस ब्लॉग को सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !
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