मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व

पिछले पोस्ट में हमने मैप रीडिंग में कंटूर रेखाए क्या होती है और मैप की विश्वसनीयता के बारे में जानकारी लिए इस पोस्ट में हम दिशा के प्राकर(Disha ke prakar) और मैप रीडिंग में उत्तर दिशा का महत्व(map reading me uttar disha ka mahatwa) के बारे में जानकारी हासिल करेगे ! साथ ही साथ विजिटर्स के द्वारा इस ब्लॉग पे खोजे गए कुछ सवालो का जवाब भी शेयर करेंगे !

सवाल : कन्वेंशनल सिग्न कितने प्रकार के होते है(Conventional signs kya hote hai )? कन्वेंशनल सिग्न दो प्रकार के होते है :
  1. सर्वे सिग्न्स(Survey signs) : सर्वे ऑफ़ इंडिया के द्वारा निश्चित किये गए उन निशानों को सुर्वेरी सिग्न्स कहते है जिनके द्वारा ज़मीन के कुदरती व बनावती निशान को मैप पे दिखाये जाते है  !
  2. मिलिट्री सिंबल(Military symbols) : सेना मुख्यालय द्वारा निश्चित किये गए उन निशानों को मिलिट्री सिंबल कहते है जिनके सहारे सेना सम्बंधित सुचंये मैप के ऊपर दिखाई जाती है !

सवाल यहाँ ख़त्म हुवा और हम अपने आज के पोस्ट का टॉपिक को आगे बढ़ाते है

World Map

 दिशाओ के प्रकार(Dishao ke prakar) :  समझने में आसन बनाने के लिए हम दिशाओ को तीन भागों में बाँट सकते है

  1. बड़ी दिशाएं
  2. प्रमुख दिशाएं
  3. छोटी दिशाएं
  •  बड़ी दिशाए(Badi Dishaye) : बड़ी दिशाएं चार होती है जिनको हम उत्तर , दक्षिण , पूर्व, पश्चिम के नाम से जानते है ! उतार दिशा 360 दिग्रिमे होता है उसी प्रकार  पूर्व – 90 डिग्री,  दक्षिण 180 डिग्री और पश्चिम 270 को कहते है !

जरुर पढ़े : खुद का पोजीशन का पता लगाना 

  •  प्रमुख दिशाए (Pramukh dishaye): प्रमुख दिशाए भी चार प्रकार की होती है ! ये दिशाए कार्डिनल पॉइंट के बिच पड़ती है यानि एक कार्डिनल पॉइंट को दो बराबर बराबर भागो में बटती है !इस प्रकार एक भाग 45 डिग्री का बनता है ! ये दिशाए  दो अक्षरों से लिख कर दिखाई जाती है !उत्तर दिशा को हम ज्या महत्व देते है क्यों की दिशाओ की बाँट उत्तर से से शुरू होती है! इसके बाद दक्षिण को प्रमुखता दी जाती है ! 
  • इन दिशाओ का नाम इस प्रकार दीये जाते है की उत्तर दिशा के नजदीक पड़ती है उसके पहले उत्तर नाम फिर उस तरफ वाली दिशा का नाम लिखा जाता है ! ईसिस प्रकार जो दिशा दक्षिण दिशा के नजदीक पड़ती है उसमे दक्षिण पहले और उसके बाद दूसरी दिशा जो नजदीक पड़ती है उसे लगता है और लिखते है! इसको क्रमबद्धऐसे लिखते है  
  1.                      उत्तर-पूर्व (NE)-45 डिग्री
  2.                      दक्षिण-पूर्व (SE)- 135 डिग्री
  3.                      दक्षिण-पश्चिम (SW)-225 डिग्री
  4.                      उत्तर-पश्चिम (NW)-315 डिग्री 

  •  छोटी दिशाएं(Chhoti dishaye) : छोटी दिशाएं आठ होती है . बड़ी और प्रमुख दिशाओं के बिच में एक छोटी दिशा होती है ! जो तीन अक्षरों से दर्शाई जाती है
  1.                     उत्तर–उत्तर-पूर्व(NNE) 22 ½ डिग्री
  2.                     पूर्व –उत्तर-पूर्व (ENE)67 ½ डिग्री
  3.                     पूरब – दक्षिण–पूर्व (ESE)112 ½ डिग्री
  4.                     दक्षिण – दक्षिण –पूर्व (SSE)- 157 ½ डिग्री
  5.                     दक्षिण दक्षिण पश्चिम (SSW)- 202 ½ डिग्री
  6.                     पश्चिम दक्षिण पश्चिम (WSW)- 247 ½ डिग्री
  7.                     पश्चिम –उत्तर-पश्चिम (WNW)- 292 ½ डिग्री
  8.                     उत्तर –उत्तर –पश्चिम (NNW)- 337 ½ डिग्री

उत्तर दिशा का महत्व(Uttar disha ka mahtwa) : आर्म्ड फॉर की करवाई के हिसाब से चार बड़ी दिअशो में उत्तर दिशा को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है जिसका निम्न कारन :
  • दिन और रात के समय उत्तर दिशा मालूम करने के लिए कई साधन है !
  • उत्तर दिशा ज्ञात होने पे और सब दिशाए आसानी से मालूम किआ जा सकता है !
  • उत्तरी अमेरिका से बुतान लेंड पहाड़ की ओर इशारा करने वाली चुम्बकिया सुई से भी उत्तर दिशा आसानी से ज्ञात हो जाती है !
  • पृथ्वी अपनी अक्ष पर उत्तर से दक्षिण की ओर खड़ी है !
  • डिग्री का बाँट भी उत्तर दिशा से शुरू होती है !
  • सभी प्रकार के स्केचो में उत्तर दिशा को तीर के निशान से दिखाया जाता है !
  • सभी प्रकार के भगौलिक व टोपोग्राफिक मापों के शीर्षक उत्तर दिशा की ओर होते है !
  • मैप सेट करते समय भी उत्तर दिशा की जरुरत पड़ती है !


इस प्रकार दिशा के प्रकार और उत्तर दिशा के महत्व के बारे में हम जानकारी शेयर किये उम्मित है की पसंद आई होगी अगर कोई सवाल या सजेसन ओ तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे !
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