पिछले पोस्ट में हमने पुलिस यूनिफार्म पहनने के बारे में जानकारी प्राप्त की इस पोस्ट में हम समन और वारंट में क्या अंतर (Summon aur warrant me antar) जानेगे !
समन और वारंट जो की कोर्ट द्वारा जरी किये गए है उन्हें तमिल करना पुलिस का एक अहम कार्य है और यह कार्य ज्यादातर समय पुलिस का आरक्षक , मुख्य आरक्ष या कोई और पुलिस अधिकारी के द्वारा किया जाता है ! इस लिए यह सिपाही के बेसिक ट्रेनिं में ही सिखलाई दी जाती है की समन या वारंट को तमिल कैसे किया जाता जाता है!
इस पोस्ट में हम जानेगे की समन और वारंट में क्या अंतर होता है !बेसिक ट्रेनिंग के दौरान होने वाले परीक्षा में ही इसके ऊपर एक दो सवाल पूछे जाते है ! इस लिए हर पुलिस अधिकारी को यह मालूम होना चाहिए की समन या वारंट में क्या फर्क है और इसे कैसे तमिल किया जाता है !
इस पोस्ट में हम केवल समन और वारंट के अंतर के बारे में जानेगे !
समन और वारंट में निम्न अंतर है(Summon aur warrant me antar) :
- न्यायालय द्वारा जरी किया गया प्रत्येक समन की दो प्रतियो में जारी होता है जबकि न्यायालय द्वारा जारी किया गया प्रत्येक वारंट की एक प्रति में ही जरी होती है !
- समन का प्रारूप दंड प्रक्रिया संहिता के धरा 61 में दिया गया है जबकि वारंट का प्रारूप दंड प्रक्रिया संहिता के धरा 70 दिया गया है !
- समन पर न्यायाधिष के अलावा उच्च न्यायालय के आदेश से एनी अधिकारी भी हस्ताक्षर कर सकता है !जबकि वारंट पर केवल जारी करनेवाले न्यायालय के पीठासीन आधिकारी का ही हस्ताक्षर होता है !
- समन का तामिल किसी भी पुलिस अधिकारी या राज्य सर्कार के आदेश पर एनी लोक सेवक द्वारा भी की जा सकती है जबकि प्राय वारंट की तामिल किसी पुलिस अधिकारी द्वारा की जाती है लेकिन विशेष परिस्थिति में न्यालय किसी एनी व्यक्ति को भी तामिल करने का आदेश दे सकता है !
- समन का तामिल केवल एक व्यक्ति के द्वारा की जाती है जबकि वारंट की तामिल एक या एक से ज्यादा व्यक्तियो द्वारा एक साथ की जा सकती है !
- समन में जमानत या गिरफ्तारी का कोई प्रश्न नहीं उठता है जबकि वारंट जमानतीय या अजमानतीय होती है जिसका तमिल गिरफ्तारी के साथ होता है !
- समन एक बुलावा पत्र है जिसमें न्यायलय किसी व्यक्ति को किसी निश्चित समय, स्थान और तारीख पर हाजिर होने का बोल सकता है
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- समन का तामिल समन की एक प्रति एनी व्यक्ति को देकर या घर पे चिपकाकर भी की जा सकती है जबकि वारंट की तमिल एक मात्र और एक मात्र केवल उस व्यक्ति की गिरफ्तारी करना ही है !
- समन एक निर्धारित अवधि के पश्चात् अपने आप रद्द हो जाता है जबकि वारंट तभी रद्द हो सकता है जब या तो जरी करने वाले न्यायलय द्वारा रद्द कर दिया जाये या उसकी जब तक तामिल न कर दी जाय !
ऊपर जो समन और वारंट के अंतर बताये गए यह केवल सिपाही के बेसिक ट्रेनिंग के दौरान बताने के लिए है !
इस के साथ ही समन और वारंट से सम्बंधित पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा ! अगर ब्लॉग या पोस्ट से सम्बंधित कोई सुझाव हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब या फेसबुक पेज को लाइक करके हमलोगों को प्रोतोसाहित करे !
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