जैसे की हम जानते है की दुशमन के बारे में इनफार्मेशन इकठ्ठा करने के लिए दिन या रात को आर्म्ड फ़ोर्स की टोली तरह तरह की ऑपरेशन करती रहती है की दुश्मन को धोखा देकर जितना संभव हो सके उतना और उस करवाई में दुश्मन के नजरो और उसके आदमियो से बचने के लिए टूटी फूटी और उबड़ खाबड़ रास्तो को इस्तेमाल करते हुए उसके एरिया में जा कर फार्मेशन इकठ्ठा करते है! उन फार्मेशन को इकठ्ठा करने के लिए कभी डे मार्च तो कभी नाईट मार्च करने का जरुरत पड़ता है !
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वैसे नाईट मार्च के बारे में हमने पिछले पोस्ट्स में जान चुके है और इस पोस्ट में हम डे मार्च(Day March) से सम्बंधित निम्न विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे :
Day March ki Taiyari |
1. दिन के समय मार्च करने का अर्थ क्या होता है ?(Din ke samay march karne ka arth kya hota hai )
2. दिन के समय मार्च करने का जरुरत (Din ke samay march karne ka jarurat)
3. दिन में मार्च करने का विधि (Din me march karne ka vidhi)
1. दिन के समय मार्च करने का अर्थ क्या होता है ?(Din ke samay march karne ka arth kya hota hai ):वैसे तो हम दिन में किसी न किसी काम के लिए एक जगह से दुसरे जगह जाते रहते है लेकिन उसको हम मैप रीडिंग के भाषा में दिन का मार्च नहीं कह सकते है !
मैप रीडिंग के भाषा हम दिन का मार्च उसे कहते है जब हम किसी सैनिंक कार्यवाही के लिए किसी निश्चित उद्देश्य को ध्यान में रखकर किसी विशेष विधि से दिन में एक जगह से दुसरे जगह पर जाते है तो उस मूवमेंट को दिन के समय(March in day time) का मार्च कहते है !
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2. दिन के समय मार्च करने का जरुरत (Din ke samay march karne ka jarurat):डे मार्च निम्न कारणों से किया जाता है :
- अपने एरिया में पेट्रोलिंग या अम्बुश की कार्यवाही के लिए !
- बिना किसी व्यक्ति के सहायत के अनजान एरिया में जाने के लिए
- कमांडो रेड व इन्फ्लीटेरेसन सैनिक कार्यवाही के लिए
- ट्रेनिंग और एक्सरसाइज में अनजान जगहों पर जाने के लिए
- मैप रीडिंग के ट्रेनिंग के दौरान भी कंपास और बिना कंपास तथा मैप और बिना मैप एक जगह से दुसरे जगह जाने का जरुरत पड़ता है !
- पहले मैप को सेट करके अपनी पोजीशन को मार्क करना
- फिर जिस स्थान पर पहुचना है उसका पोजीशन निकल कर के उस स्थान के आस पास के प्रसिद्ध निशानों को अच्छी तरह से समझना !
- अपनी पोजीशन से गंतव्य स्थान तक पहुचने का सबसे आसन और हालत के अनुसार रास्ता को चुनना !
- रास्ते का फासला भी मालुम कर लेते है और फसलो को कदमो में बदली कर लेते है !
- मार्च करने के लिए अपनी पोजीशन से गंतव्य स्थान के बिच पड़ने वाले मैप और जमीनी निशानों के बिच तुलना करते हुए आगे बढ़ना चाहिए !
- फासले को याद रखने के लिए रास्ते में जितने सौ कदम बनते है उतने ही छोटे छोटे पत्थर जेब में रख लेना चाहिए !
- चलते समय सौ सौ कदम जाने के बाद एक एक पत्थर निचे गिरते जाना चाहिए
- गंतव्य स्थान पर पहुचने के बाद वहा के जमीनी निशानों को मैप से मिलाकर तसल्ली करलेना चाहिए की हम सही जगह पे आ चुके है !
- जिस स्थान पे जाना है उस स्थान की बेअरिंग और फासला मालूम किया जता है !
- मार्च करने से पहले गंतव्य स्थान को अच्छी तरह से समझ लिया जाय
- मार्च सुरु करने से पहले उस दिए हुए बेअरिंग को कंपास पर पढ़ते है
- और उस बेअरिंग पर दिखाई देने वाले दो मशहूर निशान चुनते है जिसके सीध में आसानी से चला जाय सके !
- निशानों को चुनने के बाद उसके बिच की दुरी मालूम कर लेते है !
- उस पहली चुने हुए निशान की ओर हम चलते है !
- प्राप्त किये हुए फासला तय करने के बाद हम पहले निशान पर पहुचते है !
- पहले निशान पर पहुचने के बाद फिर वहा से हम दुसरे निशान के सीध में एक और मशहूर निशान चुनते है !
- निशान चुनने के बाद हम दुसरे निशान की ओर चल पड़ते है !
- इस प्रकार से हम बिच के निशान चुने और दिशा तथा दुरी मालूम करते हुए गंतव्य स्थान पर पहुच जाते है
(ii) दूसरी प्रकार : कंपास साथ रख कर मार्च करने की दूसरी स्टेज है हमे गंतव्य का बेअरिंग और फासला न मालूम हो कर रास्ते में पड़ने वाले मुख्य निशानों के बेअरिंग और उसके बिच के फासले विदित होता है !
- मार्च करने से पहले मैप पर अपनी पोजीशन और गंतव्य स्थान को अच्छी तरह पहचान ले
- कुछ ऐसी डिटेल्स के बारे में भी जान लेना चाहिए जिसमे गंतव्य और उस तक पहुचने वाले रास्ते को पहचानने से आसानी हो !
- गंतव्य स्थान तक पहुचने के लिए उचित रास्ते का चुनाव करके दुरी मीटर्स या गजो में नाप कर कदमो में बदला ले ताकि फासला नापने में आसानी हो
- रास्ते में पड़ने वाले मुख्य डिटेल्स की पहचान के लिए उन डिटेल्स के आस पास के निशानों तथा उनकी दुरी को भी नोट कर ले !
- निशानों को चुनते समय केवल पेड़ को ही न चुने नहीं तो हो सकता है की पेड़ को काट दिया गया हो !
- मार्च के दौरान थोडा बदले हुए रास्ते देख निराश नहीं होना चाहिए
- नहीं जल्दी अपने आप को गलत समझना चाहिए क्यों की धरातल पे हमेशा परिवर्तन होते रहती है !
- कई जगह छोटी औए कच्ची सडके बदली भी जा सकती है कई मकान , मंदिर आदि नए बन सकते है ! प्राकृतिक हालातो के कारण भी धरातल की बनावट में बदली हो सकती है इसीलिए रास्ते के ऊपर पड़ने वाले ख़ास निशानों पर भरोषा करते हुए गंतव्य की ओर जाना चाहिए !
- फासला नापने का अंदाज लगाने में लापरवाही न बरते ! फासला का अंदाज लगते समय ध्यान रखने वाली बातो पे विचार करे !
- भूल कर किसी गलत जगह पर पहुचने पर फ़ौरन लौटकर पहले वाले जगह पर आ जाना चाहिए !
- गंतव्य स्थान पर पहुच कर नोट की हुई आस पास की डिटेल्स को ध्यान पूर्वक देखना चाहिए और तसल्ली कर ले की हम ठीक स्थान पर पहुच गए है !
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