मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदना

 मैप रीडिंग के पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने टोपोग्राफिकल फॉर्म के बारे में जानकारी प्राप्त किये और उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज एक एन सी सी के छात्र द्वारा ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में कैसे बदले है के बरे में पूछे गए सवाल का जवाब देने के लिए यह पोस्ट लिख रहा हु !

जैसे की हम जानते है कन्वर्शन और बेअरिंग यानि बेअरिंग को कन्वर्ट करने की जरुरत बहुत पड़ती है जब हम मैप रीडिंग की ट्रेनिंग लेते है इसीलिए यह बहुत ही जरुरी है की ओ चाहे एन सी सी के छात्र हो या यूनिफार्म फाॅर्स के जवान सभी को कन्वर्शन ऑफ़ बेअरिंग जिसमे की ग्रिड बेअरिंग  को  मैग्नेटिक बेअरिंग या ट्रू नोठे , मैग्नेटिक नार्थ या ग्रिड नार्थ को आपस में बदली करने जरुर आना चाहिए नहीं तो इसके बिना आप मैप को सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर सकते है !

जैसे की सवाल है की ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में कैसे बदली करते है तो इसकी जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ जरुरी बेअरिंग के बारे में जानकारी होनी चैये जैसे की :

  • ट्रू नार्थ  किसे कहते है(True north kise kahte hai/ What is true north?) : ध्रुव तारे के सहायता से ज्ञात किया हुवा नार्थ को ट्रू नार्थ कहते है ! तथा ट्रू नार्थ की ओर खिची गई रेखायो को ट्रू नार्थ की रेखाए कहते है ! सर्वे मैप पर ये रेखाए दक्षिण से उत्तर की ओर काले रंग से खिंची जाती है !
  • ग्रिड नार्थ किसे कहते है(Grid north kise kahte hai/ What is Grid north?) : सर्वे मैपो पर बैगनी रंग से दक्षिण से उत्तर की खिंची गई रेखाए जिस उत्तर की ओर इशारा करती है वह ग्रिड नर्थ कहलाता है !
  • मैग्नेटिक नार्थ किसे कहते है(MAgnetic north kise kahte hai/ What is Magnetic north?) ?: कंपास की सुई अर्थात मैग्नेटिक सुई जिस उत्तर की ओर इशारा करता है उसे मैग्नेटिक नोएथ कहते है ! सर्वे मैप पर मैग्नेटिक नार्थ को दिखने के लिए कोई रेखा नहीं होती है !
  • मैग्नेटिक वेरिएशन किसे कहते है (Magnetic variation kise kahte hai/ What is magnetic variation?)?: किसी स्थान पर जब ट्रू नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ की रेखाए आपस में मिलती है तो उस स्थान पर इन दोनों के बीच की कोणात्मक दुरी को मैग्नेटिक वेरिएशन कहते है !
  • एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स किसे कहते है(Angle of convergence kise kahte hai / What is angle of convergence?):किसी स्थान पर  जब ट्रू नार्थ और ग्रिड नार्थ की रेखाए आपस में मिलती है तो उस स्थान पर इन दोनों नार्थ रेखाओ के बीच की कोणात्मक दुरी को एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स कहते है !
  • लोकल वेरिएशन किसे कहते है (Local variation kise kahte hai? /What is local variation?)?:किसी स्थान पर मिलते समय ग्रिड नार्थ और मैग्नेटिक नार्थ रेखाओ के बीचजो कोणात्मक दुरी बनती है उसे लोकल वेरिएशन कहते है ! 
जैसे की हम हम जानते हैं कि मैप पर एंगल आफ कन्वर्जेंस तथा मैग्नेटिक वेरिएशन संबंधी जानकारी तो दी जाती है परंतु ग्रिड नार्थ  रेखा और मैग्नेटिक नॉर्थ रेखा का अंतर नहीं दिया जाता है। इसका ज्ञान वास्तविक उत्तर यानी ट्रू नॉर्थ की स्थिति से हिसाब लगाकर ही कर सकते हैं। 

मैग्नेटिक बेयरिंग कंपास से तथा ग्रिड बेअरिंग  सर्विस प्रोटेक्टर से नापी जाती है। परंतु ट्जारू बेअरिंग नने के लिए हमें अन्य किसी बेयरिंग को उस में बदलना पड़ता है!

 जमीन पर काम करते समय कंपास या मैग्नेटिक बेयरिंग से काम चल जाता है तथा मैप  पर काम करते समय सर्विस प्रोटेक्टर द्वारा ली गईग्रिड बेअरिंग  से काम चल जाता है !परंतु जमीन से मैप और मैप से जमीन पर की कार्रवाई में मैग्नेटिक बेयरिंग को ग्रिड बेअरिंग  और ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग  में बदलना अवश्य होता है 
मैप पर मैग्नेटिक नार्थ और  ग्रिड नार्थ  का अंतर  नहीं लिखा होता है! इसे मैग्नेटिक वेरिएशन तथा एंगलऑफ़ कन्वर्जेन्स की मदद से  मालूम करते हैं!


बेयरिंग के रूम रूपांतरण की विधि:-एक बेअरिंग को  किसी दूसरी दूसरी बेरिंग या बेअरिंगो  में परिवर्तन करने से पहले निम्न बातों को ध्यान में रखना पड़ता है:-
  • सभी बेयरिंग की एक रेखा कोई एक नार्थ लाइन होती है। 
  • सभी बेअरिंगो  को घड़ी के सुलटे रुख  डिग्री ,मिनटों  और सेकंडो में नापा जाता है। परंतु पृथ्वी के स्थान सदैव एक ही स्थान पर रहते हैं। उनके बेरिंग में अंतर केवल इसलिए होता है कि इन स्थानों की नॉर्थ रेखा एक स्थान पर ना होकर एक दूसरे से थोड़ा पूर्व या पश्चिम में हटकर होती है। इनके पूर्व या पश्चिम में होने से बेअरिंगो  पर प्रभाव पड़ता है! उसे जानने की विधि यह है कि यदि किसी बेयरिंग की नॉर्थ रेखा दूसरे बेयरिंग की नार्थ  रेखा से पश्चिम में है तो उस बेयरिंग दूसरी बेरिंग में उतना ही अधिक होगी जितनी डिग्री पश्चिम में उसकी नाथ रेखा है। यदि किसी स्थान की नॉर्थ रेखा के पूर्व में है तो उसकी बेयरिंग दूसरी बेरिंग से उतना ही डिग्री कम होगी कितना डिग्री उसकी देखा पूर्व में है!
  • मैप  के ऊपर एंगल ऑफ़ कन्वर्जेन्स और मैग्नेटिक वेरिएशन दिया हुवा रहता है और उसी के मदद से हम ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग तथा मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदलते है ! उदाहण के लिए 
1. मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदना(Magnetic bearing ko grid bearing me badlna. Convergence of magnetic bearing to grid bearing)) : यदि मैप का लोकल वेरिएशन 1 डिग्री 30 मिनट पश्चिम है ! यदि कम्पस से यानि किसी स्थान के मैग्नेटिक बेअरिंग 230 डिग्री है तो उस स्थान का ग्रिड बेअरिंग कितनी होगी ?

मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदलना

उत्तर:-  चुकी मैग्नेटिक नार्थ , ग्रिड नार्थ के 1 डिग्री 30 मिनट पश्चिम में है ! इसलिए ग्रिड बेअरिंग भे मैग्नेटिक बारिन से 1 डिग्री 30 मिनट कम अर्थात 230 डिग्री  – 1 डिग्री 30 मिनट = २२८ डिग्री 30 मिनट होगी ! यदि मैग्नेटिक नार्थ ग्रिड नार्थ से 1 दिगी 30 मिनट पूर्व का होता तो ग्रिड बेअरिंग 1 डिग्री 30 मिनट अधिक अर्थात 230 डिग्री  + 1 डिग्री 30  मिनट = 231 डिग्री 30 मिनट होता !



2. ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग में बदलना(Grid bearing ko Magnetic bearing me badlna. Convergence of grid bearing to magnetic bearing) :यदि मैप पर लोकल वेरिएशन 1 डिग्री 38 मिनट पश्चिम यानि ग्रिड नार्थ से मैग्नेटिक नार्थ पश्चिम में है ! तो उस मैप पर सर्विस प्रोटेक्टर से ग्रिड बेअरिंग 290 डिग्री नापा गया है मैग्नेटिक बेअरिंग कितना  होगा ! यानि ग्रिड बेअरिंग को मैग्बेनेटिक बेअरिंग में बदलना है !

ग्रिड  बेअरिंग को मैग्नेटिक  बेअरिंग में बदलना
उत्तर :– चुकी मैग्नेटिक नार्थ ग्रिड नार्थ से 1 डिग्री 38 मिनट पश्चिम में है ! अतः स्पस्ट है की मैग्नेटिक बेअरिंग ग्रिड बेअरिंग से 1 डिग्री 38 मिनट अधिक होगी अर्थात 290 डिग्री + 1 डिग्री 38 मिनट = 288 डिग्री 22 मिनट !




इस प्रकार से यहाँ ग्रिड बेअरिंग को मैग्नेटिक बेअरिंग तथा मैग्नेटिक बेअरिंग को ग्रिड बेअरिंग में बदलने से सम्बंधित ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुई !उम्मीद है कि यह आप लोगों को लिए उपयोगी साबित होगा। अगर यह मेरा ब्लॉक ब्लॉक पोस्ट आपको पसंद आया हो तो मेरे ब्लॉक को शेयर और सब्सक्राइब करें और अगर कोई सुझाव मेरे ब्लॉक पोस्ट के बारे में हो तो नीचे के कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पर लाइक करें और हम लोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
इन्हे भी पढ़े :

  1. मैप रीडिंग की अवाश्काताये तथा मैप का परिभाषा
  2. 15 जरुरी पॉइंट्स मैप को सही पढने के लिए
  3. मैप कितने प्रकार के होते है ?
  4. कंपास को सेट करना तथा इस्तेमाल करने का तरीका
  5. कंटूर रेखाए क्या है ? एक मैप की विश्वसनीयता और कमिया किन किन बाते पे निर्भर करती है ?
  6. मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
  7. दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
  8. कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
  9. रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
  10. सर्विस प्रोटेक्टर का परिभाषा और सर्विस प्रोटेक्टर का प्रकार
  11. सर्विस प्रोटेक्टर का उपयोग और सर्विस प्रोटेक्टर से बेक बेअरिंग पढने का तरीका

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