पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने महिला और बच्चो के प्रति होने वाले अपराध के विषय में जानकारी प्राप्त की और अब इस ब्लॉग पोस्ट में पुलिस कांस्टेबल के बेसिक ट्रेनिंग के दौरान दी जाने केन्द्रीय सरकार के गठन से सम्बंधित बेसिक जानकारी यहाँ दी जाएगी जो की एक बेसिक रिक्रूट ट्रेनीज के मालूम होना चाहिए !
Government formation |
1. इंट्रोडक्शन: भारत एक प्रजातांत्रिक गणराज है जिस की सरकार व्यवस्था संविधान के अनुसार संघीय प्रणाली है। भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक तथा एकात्मक है। संविधान के अनुसार लोगों के मताधिकार से निर्वाचित केंद्रीय और राज्य सरकारों की व्यवस्था की गई है। इसमें शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में किया गया है जो निम्न है:
- संघीय सूची(Union List) – इसमें राष्ट्रीय महत्व के मामले आते हैं।
- राज्य सूची(State List)– इसमें राज्य स्तरीय मामले आते हैं।
- समवर्ती सूची(Concurrent list)– यह संघ और राज्य की साझी सूची है यदि केंद्र की प्रभुसत्ता है।
जैसे ऊपर बताया गया है कि भारत एक संघीय राज है इस संघीय राज्य का जिसका राष्ट्रपति अध्यक्ष होता है।
2.राष्ट्रपति (President)
- राष्ट्रपति का चुनाव(President Election) :राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों राज्य विधानसभा और विधान परिषद के निर्वाचित सदस्यों द्वारा होता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति अपनी इच्छा अनुसार पद त्याग कर सकता है या इसे महाभियोग द्वारा हटाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति की योग्यताएं(Eligibility for President) :
- भारतीय नागरिक होना चाहिए।
- आयु 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
- संसद के किसी भी सदन का सदस्य ना हो।
- केंद्र सरकार के अधीन किसी भी लाभ के पद पर आसीन ना हो।
- वह दिवालिया वह पागल ना हो।
- राष्ट्रपति की शक्तियां (Power of President)
- कार्यपालिका की शक्तियां।
- वैधानिक शक्तियां।
- न्याय पालिका की शक्तियां।
- वित्तीय शक्तियां।
- आपातकालीन शक्तियां।
- विदेशी मामला या देश के आंतरिक अशांति
- राज्यों में सरकारों का असफल होना
- वित्तीय संकट
4.सरकार के महत्वपूर्ण अंग(Organ of Government)
- विधान पालिका
- कार्यपालिका
- न्यायपालिका।
- लोकसभा(Parliament):लोकसभा यह संसद का निम्न सदन होता है इसमें जनता द्वारा निर्वाचित सदस्य होते हैं इसमें संविधान के अनुसार 545 सदस्य होते हैं। जिन का चुनाव प्रत्यक्ष व गुप्त मतदान से होता है इसमें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लिए कुछ स्थान सुरक्षित रखे जाते हैं तथा 2 सदस्य एंग्लो इंडियन जाति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें राष्ट्रपति मनोनीत करता है। प्रत्येक 25 वर्षीय भारतीय नागरिक लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो सकता है। लोकसभा के सदस्यों में से ही एक लोकसभा का अध्यक्ष चुना जाता है।
- राज्यसभा(Rajy Shabha): यह संसद का स्थाई सदन होता है! उपराष्ट्रपति इस का पदेन अध्यक्ष होता है इसमें राज्य विधान मंडलों द्वारा चुने हुए राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य होते हैं। जिनकी कुल संख्या 250 है जिसमें निर्वाचित 238 व मनोनीत 12 होते हैं! और 2 बर्केष पश्चात एक तिहाई सदस्य पद मुक्त हो जाते हैं। इसका सदस्य होने के लिए 30 वर्ष की आयु होना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति अपनी सहायता व सलाह के लिए संसद में प्राप्त बहुमत वाले दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है जिस की सलाह से मंत्री परिषद का गठन किया जाता है जो लोकसभा के लिए उत्तरदाई होता है। प्रधानमंत्री मंत्री परिषद का अध्यक्ष होता है जिस की सलाह पर ही मंत्रिपरिषद का गठन होता है। मंत्रिपरिषद का विभिन्न बैठकों में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले कानून का रूप लेते हैं। जो सरकारी कामकाज का संचालन करते हैं जो संसद के प्रति उत्तरदाई होते हैं। सरकारी कामकाज सुचारू रूप से चलाने के लिए अलग-अलग भागों में बांट दिया जाता है कुछ महत्वपूर्ण विभाग या मंत्रालय निम्न है।
- गृह मंत्रालय
- रक्षा मंत्रालय
- वित्त मंत्रालय
- विदेश मंत्रालय
- स्वास्थ्य मंत्रालय
- रेल मंत्रालय
- कृषि मंत्रालय
- उद्योग मंत्रालय
- खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय
- विधि एवं न्याय मंत्रालय
- राज्यपाल(Governor): राज्य का संपूर्ण शासन राज्यपाल के नाम से चलाया जाता है !जो राज्य सरकार के मंत्रिमंडल की सलाह पर कार्य करता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है लेकिन राष्ट्रपति इसे जनहित में समय से पहले भी हटा सकता है। जब किसी राज्य की संविधान द्वारा स्थापित सरकार असफल हो जाती है तो राष्ट्रपति के आदेश अनुसार राज्यपाल राज्य की जिम्मेदारी पूर्ण रूप से संभाल लेता है।
- राज्य मंत्रिमंडल का गठन(Council of minister of State Government) :राज्य में विधानसभा से प्राप्त बहुमत वाले दल के नेता को राज्यपाल मुख्यमंत्री नियुक्त करता है तथा उसकी सिफारिश सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है जो राज्य के शासन को सुचारू रूप से चलाता है।
- राज्य विधान परिषद(: संविधान के अनुसार विधान परिषद के सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों की संख्या का एक तिहाई होता है। इन का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है तथा कुछ सदस्यों को राज्यपाल मनोनीत करता है। इसके एक तिहाई सदस्य हर 2 बर्ष स बाद रिटायर हो जाते हैं ! इसका पूरा कार्यकाल 6 साल का होता है।
8.केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासनिक ढांचा(Administrative structure of Union Teritorry) :केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन की सीधी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। मंत्रिमंडल की सिफारिश पर प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रपति उप राज्यपाल या एडमिनिस्कीट्रेटर को नियुक्ति करता है जो राज्यों की तरह प्रशासनिक कार्यों का चलाता है।
- नगर निगम: कोलकाता मद्रास मुंबई जैसे बड़े बड़े नगरों में स्थानीय शासन की इकाई को निगम कहते हैं इनकी स्थापना राज्य सरकार के एक विशेष कानून के द्वारा की जाती है जिसके लिए निगम बनाना होता है उसके लिए राज्य विधानमंडल एक कानून पास करता है जिसमें इसके निर्माण एवं कार्य का उल्लेख होता है। निगम तीन प्रकार के सदस्य होते हैं:
- मेयर
- एल्डरमैन
- पार्षद
- पार्षद का चुनाव : पार्षद का चुनाव नगर की जनता द्वारा होता है। पार्षद एल्डरमैन का चुनाव करते हैं तथा पार्षद एवं एल्डरमैन मिलकर मेयर के चुनाव करते हैं। मेयर निगम का सभापति होता है! निगम का कार्यकाल साधारण तक 5 बरस का होता है।
- कार्य
- नगर की सफाई
- पानी की आपूर्ति का
- सड़कों की मरम्मत
- बिजली का प्रबंधन
- इमारतो के मैप अनुमोदन
- शिक्षा का प्रबंधन
- स्वास्थ्य सेवाए
- नगर पालिका: नगर पालिका नगर के स्थानीय मामलों का प्रबंधन करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्थापित की जाती है। इन सदस्यों का चुनाव नगर निवासियों द्वारा होता है। सदस्य अपने में से एक प्रधान चुनते हैं! नगरपालिका का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है परंतु इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है। इसके कार्यों को चार भागों में बांटा जा सकता है :
- सार्वजनिक सुरक्षा /रखवाली
- सार्वजनिक स्वस्थ
- सार्वजनिक सुविधाएं
- सार्वजनिक शिक्षा।
- छावनी बोर्ड :छावनी में सार्वजनिक प्रबंधन के लिए यह बोर्ड होते हैं इनका कार्य नगरपालिका से मिलता-जुलता है।
पुलिस के दूसरे विभागों से आपसी संबंध
- न्यायपालिका :भारतीय प्रशासन प्रणाली के अंतर्गत जिला मजिस्ट्रेट मजिस्ट्री का प्रमुख है और पुलिस अधीक्षक जिला पुलिस का अध्यक्ष होता है। अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता दोनों द्वारा जिला मजिस्ट्रेट का पुलिस पर नियंत्रण की शक्तियां प्रदान की गई है। पुलिस एक्ट की धारा 4 के अनुसार कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस व न्यायपालिका में मधुर संबंध महत्वपूर्ण है!
- राजस्व विभाग: यह विभाग जिला कलेक्टर के अधीन होता है जिला मजिस्ट्रेट जिला कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक के बीच अच्छा तालमेल सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाते हैं जो कि एक दूसरे के कार्य में परस्पर सहयोग करते हैं।
- स्वास्थ्य विभाग: बहूत से पुलिस के कार्य चिकित्सा विभाग से संबंधित होते हैं जैसे घायलों का परीक्षण व स्वास्थ्य जांच आदि इनके आपसी संबंध अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। समय-समय पर पुलिस भी आवश्यकता अनुसार स्वास्थ्य विभाग की सहायता करती है।
- सार्वजनिक निर्माण विभाग :सार्वजनिक निर्माण विभाग प्रमुख कार्य भवन निर्माण व मरम्मत करना है पुलिस विभागों की इमारतों का निर्माण व रखरखाव बी पी डब्लू डी करती है। यदि पुलिस विभाग के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से निरंतर रखेंगे और निर्माणाधीन इमारत की साइट पर जाकर आपस में मिलकर बातचीत करेंगे तो अच्छी इमारत बनेगी ! यदि पुलिस विभाग किसी अन्य स्थान पर किसी प्रकार की असुविधा का अनुभव करता है तो उसे पीडब्ल्यूडी से मिलकर दूर कराया जा सकता है!
- सीमा शुल्क विभाग :इस विभाग से निरंतर संपर्क से विशेष रूप से नारकोटिक संबंधी अपराधों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण मदद मिलती है! केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग क्षेत्र के अपराध व अपराधियों का रिकॉर्ड रखता है। इस प्रकार पुलिस की मदद कर सकते हैं !
- रेल विभाग: यदयपि रेलों में पुलिस की व्यवस्था करना सरकारी रेल पुलिस की सीधी है जिम्मेवारी है। फिर भी जिला पुलिस रेलवे की सहायता के लिए आती है। त्योहारों मेलो आदि पर भीड़ पर नियंत्रण के लिए साथ दोनों विभागों के बीच अच्छे संबंध जरूरी है। कभी-कभी बिना टिकट चेकिंग ड्राइव में भी पुलिस सहायता करती है। उधर जब कभी समय कम समय में पुलिस को कहीं जाना पड़ता है तो रेलवे विभाग उन्हें सीट देकर पुलिस की मदद करता है।
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