पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने अपराध के वर्गीकरण के बारे में जानकारी प्राप्त की और इस नई ब्लॉग पोस्ट में हम दण्डशास्त्र(Penology) के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे ! इस विषय को अच्छी तरह से समझने के लिए हमने इसे छोटे छोटे शीर्षक के अंतर्गत बाँट दिया है !
1. दण्ड शास्त्र क्या है :दण्ड शास्त्र अपराध शास्त्र का एक प्रभाग है जो अपराध के लिए दंड तथा जेलों के प्रबंधन से संबंधित है। किसी व्यक्ति को उसके अपराध या किसी कथित कार्य के लिए दंडित ठहराना अपराधी घोषित करना।
दण्ड शस्त्र |
दण्डशास्त्र अपराधियों को दंड देने से संबंधित विधिओ , सिद्धांतों एवं उनके उपचार का अध्ययन है !उपरोक्त के अलावा इसमें जेल व्यवस्था सुधारात्मक उपाय पुनर्वास व्यवस्था आदि का भी अध्ययन किया जाता है।
2. दंड शास्त्र का क्षेत्र
- दंड
- जेल व्यवस्था
- सुधार व उपचार
- प्रवर्तित आदतन अपराधिक- दंड के बावजूद भी अपराधी का न सुधरना,
- अपराधिक न्याय प्रणाली सहयोग एवं तालमेल
3. दंड शास्त्र के सिद्धांत:
- परंपरा वादी सिद्धांत: क्योंकि व्यक्ति आनंद या सुख प्राप्त करने के लिए अपराध करता है इसीलिए उसे कष्ट या दुख पहुंचा कर अपराध से विमुख करना चाहिए ! नवपरंपरा दियो ने इसमें यह सुधार किया कि दंड का निर्धारण आयु, लिंग और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।
- प्रत्यक्ष वादी सिद्धांत: क्योंकि अपराध के लिए शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक कारण भी जिम्मेदार होते हैं इसलिए दंड का निर्धारण अपराध की अपेक्षा अपराधियों की प्रवृत्ति के अनुसार होना चाहिए।
- आधुनिक सिद्धांत :क्योंकि अपराधियों के लिए खुद समाज भी जिम्मेदार है इसलिए अपराधियों को सुधारने का दायित्व भी उसी का है। अपराधी को एक मानसिक रोगी समझ कर उसका सुधार एवं उपचार करना चाहिए।
4. दंड :- राज्य द्वारा कानून के कानून विरोधी कार्यो के लिए अपराधियों को दी जाने वाली शारीरिक या मानसिक पीड़ा है
5. दंड के उद्देश्य:
- मानवीय व्यवहार पर नियंत्रण करने के लिए- दंड का भय परंपरावादी सिद्धांत के अनुसार
- अपराधी का सुधार- करवास में नैतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक व व्यवसायिक शिक्षा। अपराधी को समाज में पुनर्वास के लिए तैयार करना।
- सामाजिक सुरक्षा :-कारवास में होने के कारण समाज को और ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।
- प्रतिरोधआत्मक उपाय:- उन लोगों में दंड का भय पैदा करना ताकि वह अपराध न करें।
- क्षतिपूर्ति:- जुर्माना आदि लगाकर पीड़ित व्यक्ति को छतिपूर्ति अपराधी को दंड मिलने से पीड़ित को मानसिक संतुष्टि।
6. दंड के प्रकार
- कारवास :- अपराधी को अलग रखकर समाज को हानि पहुंचाने से रोकना। दो प्रकार का होता है साधारण व कठोर
- जुर्माना
- शहर बदर करना या तड़ीपार करना क्षेत्र से निकासी करना
- चेतावनी या भर्सना न्यायालय द्वारा
- मृत्युदंड :-विवादास्पद मुद्दा मृत्युदंड दिया जाना चाहिए या नहीं
7. मृत्यु दंड के तर्क
परिशोध बुरे व्यक्ति को समाज में से हमेशा के लिए हटा देता परिशुद्ध आत्मक अनुवांशिकता का सिद्धांत
8. मृत्यु दंड के विपक्ष में तर्क :
अमाननीय दंड सुधार विरोधी अपराधों के लिए समाज कई अपराधी के परिवार को असहाय व बेसहारा बना देता है।
9. निष्कर्ष:- दण्ड केवल वही दिया जाना चाहिए जहां अपराध संदेश से परे साबित होता है! अपराध अति क्रूर व जघन्य हो तथा अपराधी के सुधरने की कोई संभावना ना हो।
10. दंड के सिद्धांत :उपरोक्त दिए गए दंड के उद्देश्य ही इसके विभिन्न सिद्धांत है
- परिशोधआत्मक सिद्धांत: जैसे को तैसा
- प्रतिरोधआत्मक सिद्धांत:- लोगों में दंड का भय पैदा होता कि वह अपराध न करें
- प्राश्चित का सिद्धांत
- निरोधात्मक सिद्धांत :अपराधी को समाज से अलग रखकर सामाजिक सुरक्षा कारावास या मृत्युदड
- क्षतिपूर्ति का सिद्धांत
- सुधारात्मक सिद्धांत अपराधों के लिए समाज उत्तरदाई इसलिए अपराधी को एक मानसिक रोगी समझकर उसका उपचार करके सुधारने पर बल।
इस प्रकार से हम जाने की दण्ड शास्त्र और उसके सिद्धांत क्या क्या होते है तथा दण्ड क्यों दिया जाता है !इस प्रकार से दण्ड शास्त्र से सम्बंधित यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !
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