पिछले पोस्ट में हमने जमीनी निशान का ब्यान और आमरुख के बारे में जानकारी शेयर किये थे ! इस पोस्ट में हम जमीनी निशान को ब्यान करने का तरीका और ध्यान में रखने वाली बाते(Jamini nishan ko byaan karne ka tarika aur jamini nishan ko byaan karte samay dhyan me rakhne wali bate) के बारे में जानकारी शेयर करेंगे !
जैसे की हम जानते है की जमीनी निशान दिखने के लिए सबसे सीधा और साधारण तरीका जिससे निशान जल्द से जल्द बताया जा सके का प्रोयोग करना चाहिए ! जमीनी निशान दिखने(Jamini nishan ko dikhane ka tarika) का कुछ तरीके इस प्रकार से है !
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- सीधा तरीका (Direct Method for indicating Target): यह सबसे साधारण और अच्छा तरीका है ! इसमें दिशा के अलावा और किसी मदद का सहयोग नहीं लिया जाता है और सबसे असं जमीनी निशान दिखने में काम आता है !
- दिशा का तरीका (Direction Method for indicating Target): इस तरीके में जमीनी निशान की दिशा दी जाती है आम रुख , मदद का निशान , या ज़मीनी निशान से , यदि बताया न गया हो तो सभी दिशा आम रुख से ही मानी जाती है !
- मदद का निशान का तरीका (The Reference Point Method): यह तरिकताब इस्तेमाल किया जाता है जब सीधे तरीके से निशान दिखाया न जा सके ! इस तरीके में निशान की दिशा किसी और जमीनी निशान या मदद की निशान से देते है ! जो की पहले से ही चुना हुआ रहता है और पहले से ही बताया गया होता है !
निचे लिखी गई दिशाओ का ही प्रयोग किआ जाता है: निचे दिए दिशाओ का डिग्री में कितना वैल्यू होता है दिया गया है !
(क) थोडा बाएँ या दाहिने का तरीका(Thoda baen ya dahine ka tarika) – 10 डिग्री
(ख) एक चौथाई बाएँ या दाहिने का तरीका(Ek chauthai baen ya dahine ka tarika) – 22 डिग्री
(ग) आधा बाएँ या दाहिने का तरीका(Aadha baen aur dahine ka tarika) – 45 डिग्री
(घ) तीन चौथाई बीन या दाहिने का तरीका(Teen chauthai baen ya dahine ka tarika) – 67 डिग्री
(ड) पूरा बाएँ या दाहिने का तरीका(Pura baen ya pura dahine ka tarika) – 90 डिग्री
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मदद का निशान चुनते वक्त ध्यान में रखने वाली बातें(Madad ke nishan chunte samay dhyan merakhne wali bate ) :
(क) निशान मशहूर हो
(ख) 19 डिग्री के फासले से अधिक दूर न हो दो मदद के निशान
(ग) मदद का निशान के नाम पहले से मुकरर किया हो !
(घ) कितने निशान चुने जायेंगे वह जिमेवारी के इलाके के चौड़ाई पर निर्भर करेंगा
(ड) निशान अलग अलग प्रकार के चुने जाये
- घडी का तरीका (The Clock ray Method): यह तरीका मदद के निशान के तरीके के साथ इस्तेमाल किया जाता है ! घडी के बीच वाले हिस्से को उस निशान पर रखो जिससे आप मदद के निशान के तौर पर इस्तेमल कर रहे हो ! घडी के जितने बजे अगला निशान परता है दिया जाए !
घडी का तरीके को इस्तेमाल करते समय (Ghadi ka tarika ko istemal karte samay dhyan me rakhne wali baten):
(क) घडी का छे बजे का रुख अपनी तरफ रखे
(ख) घडी का बजे बताने से पहले बाएँ या दाहिने का प्रयोग किआ जाए !
(ग) 6 और 12 बजे के लिए निचे और ऊपर का प्रयोग किया जाये !
(घ) टुकड़ी नजदीक हो ताकि घडी की सुइओ का ठीक अनुमान लगा सके !
(ड) उची जमीं से निचे देख रहे हो तो घडी जमीं के साथ समतल हो !
(च ) नीची जमींन से उची जमीं देख रहे हो तो घडी खड़े रुख में हो !
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- डिग्री का तरीका (The Degree Method): अगर घडी के समय की रुख में एक ही दिशा में ज्यादा निशान हो तब टारगेट को जाहिर करने के लिए घडी के साथ डिग्री का भी इस्तेमाल किया जाता है !
डिग्री को नापने के लिए हमारे पास निम्न साधन है(Degree napte ke liye sadhan)
(क) बाएँ हाथ से – 1, 3, 5,8, 12 और 19 डिग्री
(ख) दूरबीन से – 4 डिग्री
(ग) राइफल के फोरे साईट प्रोटेक्टर और बेक साईट लीफ से – 3 डिग्री
(घ ) LMG फोरे साईट प्रोटेक्टर – 2 डिग्री
- टारगेट का सत्यापन (Verification): यह यकीं करने के लिए की कोई मुश्किल ज़मीनी निशान जो बताया गया हो उसे सब जवान ने समझ लिया है , कमांडर उसे चेक बेक करवा सकता है ! इसके लिए वोह चेक बेक शब्द का प्रयोग करता है ! जो जवान चेक कर रहा है वोह दी हुए ज़मीनी निशान से कोई और जमीनी निशान का ब्यान करता है ! मुश्किल जमीनी निशान दिखने के बाद कमांडर “सीन(Seen) “ पूछ सकता है ! जिसे निशान समझ आया हो चुप रहेगा और निशान नहीं देखा है ओ “नोट सीन(Not seen) “ का प्रयोग करेगा !
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- चारो और ज़मीनी निशान देने का तरीका(Charo or jameeni nishan dene a tarika) : यह इस तरतीब में दिया जाय
(क) सबसे पहले आमरुख
(ख)फिर घडी के सीधे रुख सभी ज़मीनी निशान दिए जाएँ जो दिखाई दे रहे हो !
(ग)वापिस आमरुख में जो जमीनी निशान दिखाई न दे रहे हो उन्हें बताया जाए !
- हथियारों के जिम्मेवारी के इलाके को बताने की तरतीब(Hathiyaro ke jimmewari ke ilake ka vyaan karne ka tartib) : इस तरतीब में बताया जाये !
(क) आम रुख(Aamrukh)
(ख) बाएँ हद(Baen had) और दाहिने हद(Dahini had)
(ग) मदद के निशान(Madad ke nishan) (जिम्मेवारी के इलाके में)
(घ) प्राइमरी अर्क(Primary arc) , सेकेंडरी अर्क(Secondary Arc) और फिक्स्ड लाइन(Fixed line)
(ड) फायर खोलने के हद दिन में और रात में
- जमीनी निशान देते समय ध्यान में रखने वाली बातें(Jamini nishan dete samay dhyan me rakhne wali baten) : यह निम्न लिखित है :
(क) ब्यान छोटा , सादा और साफ़ हो
(ख) कठिन निशान सही तरीको की मदद से बताया जाय
(ग) दिशा हमेशा आम रुख से दी जाए
(घ) दिए गए हदों में जमीनी निशान बाएँ से दाहिने बयान किया जाय !
(ड) कमांडर द्वारा दिए गए निशान का नाम बदली नहीं करना चाहिए !
(च) जो जमीनी निशान दिखाई न देता हो उसे आखिरी में ब्यान करे !
(छ) अगर जमीनी निशान का फैलाव 1 डिग्री से ज्यादा है तो फिर उसका कोई किनारा लिया जाय !
(ज) उन्ही जमीनी निशानों का बयान करें जो आप के ज़ुबानी हुकुम से सम्बंध रखते हो ! पहले अपने ज़ुबानी तैयार करें और फिर उसके मुताबिक ज़मीनी निशान चुने !
इस प्रकार से जमीनी निशान और टारगेट दिए जाते है ! उम्मीद है की ये पोस्ट पसंद आएगा , अगर कोई कमेंट या सजेसन हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! और इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करके हमलोगों को सपोर्ट करे!
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