पहले पोस्टो में हम मैप रीडिंग की अहमियत और मैप रीडिंग के बारे में जानकारी शेयर किये ही इस पोस्ट में हम मैप रीडिंग के सन्दर्भ में कुछ धरातलीय आकृतियों (TOPOGRAPHICAL FORMS) का पारिभाष को जानेगे !
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धरातलीय आकृतिया क्या है(TOPOGRAPHICAL FORMS) ? मैप रीडिंग की सिखाई में वह चीज़े धरातलीय आकृतिया कहलाती है जिनसे उनकी जमीनी बनावट का सहज अनुमान हो जाता है जैसे की :
Topographical forms image source wikipedia |
- पहाडी(Hills): ज़मींन के उस ऊँचे उठे हुए भाग को पहाड़ी कहते है ! जिसकी ऊंचाई समुन्दर की सतह से 3000 फीट से कम हो !
- पर्वत (Mountain): ज़मीं का वह ऊँचा उठा हुआ भाग जिसकी ऊंचाई समुन्दर की सतह से 3000 फीट से अधिक हो , उसे पर्वत कहते है !
- कोनिकल हिल(Conical Hill) : वह पहाड़ी जिसकी सभी ओर की ढलान एक जैसी हो उसको कोनिकल हिल कहते है आप तौर पे ये ज्वालामुखी वाले देशो में पाई जाती है !
- चोटी(peak): किसी पहाड़ी या पर्वत की सबसे ऊंचाई वाला जगह को चोटी कहते है ! मैप पर चोटी की उचाई रेखांकित या त्रिभुजाकार ऊंचाई से दिखाई जाती है !
- रिज (Ridge): किसी पहाड़ी की सिकुड़ी हुई लम्बाई और लगभग सामान ऊंचाई वाली भाग हो तो उसे पर्वत या पहाड़ी को रिज कहते है !
- स्पौर (Spour):- जिस प्रकार हमारे शारीर से बहे निचे की और निकली रहती है उसी प्रकार पहाड़ी इलाकों में पहाड़ का कुछ भाग निचले मैदान की ओर बढ़ता चला जाता है ! पहाड़ों का वह भूभाग जो बाजु की तरह निचली ज़मीन के साथ निकला हुआ चला जाता है उसे स्पौर या पर्वत स्खंड कहते है ! स्पौर की काउंटर “V” अकार की होती है ‘V’ की नोक मैदान की ओर रहती है !
- Re-Entrant” दो पर्वत स्कंध के बिच दबे हुए भाग को रे-एंट्रांत कहते है ! इसका मोड़ पहाड़ी की उचाई की तरफ कम होता चला जाता है ! री-एंटरट से आमतौर पे नाले निकलते है !
- बेसिन (Basin): (i) पहाड़ी घिरे हुए उस भाग को बेसिन कहते है जो समतल या लग भाग समतल हो ! (ii)किसी नदी या नदी के बहाव के द्वारा जिस इलाके की सिचाई होती है उसे नदी का बेसिन कहते है !
- दररा या पास : किसी पर्वत की दो चोटियो के बिच जो निचे और तंग जगह होती है उसे पास कहते है ! इस जगह से पहाड़ी के दुसरे ओर जाया जा सकता है !
- सैडल या कोल(Saddle): लग भाग दो सामान ऊंचाई वाले दो पहाड़ी के बिच में या एक पर्वत की दो चोटियो के बिच में दबे हुए थोड़े समतल से भाग को सैडल या कोल कहते है ! ये दूर से दिखयी देता है !
- स्प्रिंग या क्रेस्ट : लाबी और दूर तक फैली हुई पर्वत श्रृंखलाओं की चोटियां मिलाने वाले काल्पनिक रेखा को क्रेस्ट कहते है ! जहा पहाड़ी की खड़ी दालान समाप्त हो कर गोल चोटी बन जाती हो !
- पत्थर : पहाड़ के ऊपर बने समतल भाग को पत्थर कहते ! इस पर खेती बड़ी मुस्किल से की जा सकती है मैप पर इस भाग में कंटूर रेखाए नहीं होती है ! इसके चरों तरफ छोटी छोटी पहदियन हो सकती है !
- माउंड(Mound): मैदानी भागो में उभरा हुआ अकेला सा तिला माउंड कहलाता है , जिस पर खड़े हो कर चरों ओर का इलाका दिखलाई देता है ! मैपो पर आमतौर ये अपेक्षित ऊंचाई से दिखाई देता है !
- डीयून(Dune): रेतीली इलाको में हवा द्वारा वह मिटटी उड़ने से बनने वाला तिल्ले डीयून(Dune) कहते ई ! यह बनते बिगड़ते रहते है और पहाड़ी के सामान दिखाई देते है ! इसकी स्तिथि स्थाई नहीं होती है !
- टेकरी या नोल (Knoli): वह अकेली पहाड़ी नोल कहलाती है जिसका किसी पहाड़ी सिलसिला से कोई सम्बन्ध नहीं होता है ! इसकी कंटूर रेखाए गोल होती है और ऊंचाई कम होने से आमतौर पे एक ही कंटूर रेखाए से दिखाई जाती है !
- डीफाइल (Defile): लम्बी और ऊँचें पर्वत स्पानी की उस ऊंची उठी पीठ को डी फाइल कहते है जहाँ से पानी दो अलग अलग दिशाओ में जाने लगती है !
- जल्भी (water shed): जब किसी पर्वत श्रेणी का उचा भाग जो जल प्रभाओं को अलग कर के उसे जल का भेबेजा कहते है !यह जरुरी नहीं की water shed के लिए पर्वत का सबसे ऊँचा भाग ही हो !
- जल प्रभा मार्ग (water Cource): किसी इलाके में सबसे निचे वाला जगह जलप्रभा मार्ग अह्लाता है जिसे होकर उस इलाके का पानी बहता है ! यह सुखा भी हो सकता और पानी भी भरा हो सकता है !
- रेविने (Revine): नदियो द्वारा छोड़े गए उस गहरे और लम्बी भूभाग को रेविने कहते है जो एक लम्बी तंग घाटी के रूप में होता है !
- महा खाड(Gorge): पानी अपने बहाव से जब किसी भाग में संकरा और गहरा रास्ता बना देता है तो उस रस्ते के ऊँचे और कहदे किनारे gorge कहलाते है ! पहाड़ी इलाके में के तंग और टूटी फूटी रेविने भी gorge कहलाती है !
- 21 भृगु या चट्टान (CLIFF): जहा कही डिअर की भाती ऊंचाई आ जाती है उसे क्लिफ कहते है क्लिफ में बहुत से कंटूर रेखा एक साथ मिल जाती है !
- कगार (Escarpment) जब किसी पहाड़ के एक और एकदम बड़ी लम्बाई और क्रम बंध रूप से ऊंचाई आ जाती है तो उसे एस्कार्प्मेंट कहते है !
- घाटी (Valley): दो पर्वत शश्रिखलाओ के बिच का काफी निचे चौड़ा तथा काफी लम्बा निचे भाग घाटी कहलाता है ! घटियो में पहाड़ो की ढलान उताल (Concave) होआ है !
- क्रिक या हुमाज गह्वर (Cirque): ग्लेशियर के निकलने के स्थान पर वस् गधा cirque कहलाता है जो चरों ओर से खड़े किनारों से घिरा रहता है और जिसके किसी और ग्लेशियर के बहने का रास्ता बना होता है , काफी बड़े इलाके में फले सिराक को गिरीताल या turn कहते है ! सरक को दिखने वाली कंटूर रेखा काफी बड़े इलाके को घेरती है और बाद की कंटूर रेखाएं पास पास हो जाती है !
- अंतरीप – ज़मीन के उस कम चौड़े और नुकीले भाग को अंतरीप कहते है जो दूर तक समुन्दर के भीतर चला जाता है !
- जल प्रपात या झरना : जहाँ नदी या नालों का पानी एकदम ऊंचाई से निचे की ओर सीधा गिरता है ऐसे जल प्रपात या झरना कहलाते है ! झरने के स्थान पर कंटूर रेखाएं क्लिफ सामान मिल जाती है !जिस स्थान p नदी का पानी एकदम बड़ी ऊंचाई से ना गिरकर कुछ ढलान में गिरता है उसे दृत्वः कहते है ! दृत्वः को दिखने वाली कंटूर रेखाएं झरने की जेर्खा दुरी पर खिची रहती है !
- मेंन फीचर : किसी इलाके वह कुदरती वह बनावटी निशान मेंन फीचर कहलाता है जींस उस इलाके की बनावट का पता लगता है !
- अंडर फीचर : पहाड़ों की ढलान पर जो छोटे छोटे सिखर उभर आते है उन्हें अंडर फीचर कहते है ! ये मुख्य पर्वत श्रीन्खला से हटकर होते है !
- डेड ग्राउंड (Dead Ground): दोनों ओर उठी ज़मीं के बिच में दावी हुई ज़मीं जो दावी हुई होने के कारन दूर से दिखाई नहीं देती , उसे डेड ग्राउंड कहते है !
- उवुलास : चुने वाले इलाके में कुदरती तौर पर बने वः चौड़े और गहरे छेड़ उवुलास है जिनसे होकर उस इलाके का पानी ज़मीन के भीतर चला जाता है !
- लापीस : चुने वाले इलाके की लम्बाई , गहरे और टैग घाटिओं को आपिस कहते है ! इनकी कंटूर रेखाएं घटती रहती है !
- क्रेटर : ज्वालामुखी द्वारा बने संकू के अकार के गड्डो को क्रेटर कहते है जो की कहीं कहीं इतने चौड़े होते है की झील का रुप धारण कर लेते है !
- नदी का धरातल : ज़मीन के जिस भाग में होकर नदी की धरा या धाराएँ बहती है उसके धरातल और किनारों के बिच के भाग को नदी कद बीएड या धरातल कहते है !
- मुहाना(Estuary): जहाँ नदी समुन्दर के साथ मिलती है उस स्तन को नदी का मुहाना कहते है !
- ओक्स -बो -लेक : मैदानी या लगभग मैदानी इलाको में जब किसी नदी की धरा “C” अकार के ऐसे दलदली भाग बना देती है , जो बाद या बरसात के समय झिलका रूप धारण कर लेता है . in भागों को ओक्स-बो-लेक कहते है !
- सहायक नदी : उस छोटी नदी को सहायक नदी कहते है जो किसिस बड़ी नदी में आकर मिलती है ! जैसे झेलम चिनव , रबी आदि सिन्धु की सहायक नदिया है ! इनके मिलने के स्थान को संगाम कहते है !
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ये रही कुछ धरातलीय आकृतिया जिन्हें हम मैप रीडिंग के दौरान इस्तेमाल करते !
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