पिछले पोस्ट में हमने दिशाओ के प्रकार तथा मैप रीडिंग में उत्तर दिशा का महत्व के बारे में जानकारी शेयर किये इस पोस्ट में हम दिन के समय में उत्तर दिशा मालूम करने के तरीके(Din ke samay uttar diasha pata lagane ka tarika) और साधन के बारे में जानकारी शेयर करेगे ! उससे पहले हम विजिटर्स के द्वारा दो सवाल की खोज में मेरे ब्लॉग पे की गयी है उसका जवाब देदू !
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सवाल
- मास्टर मैप क्या होता है?(Master map kya hota hai) : जब हम किसी मैप को एक दुसरे और विस्तृत बने मैप के सहारे सुधार करते है या नई जानकारी डालते है तो उस विस्तृत मैप को हम मास्टर मैप कहते है जिसके सहायता से हम दुसरा मैप को ठीक कर रहे है !
- मास्टर कंपास क्या होता है ?(Master compass kya hota hai ): मास्टर कंपास हम उसे कहते है जिस कंपास की सारी त्रुटिया दूर कर दी गई हो और उस के सहायता से हम दुसरे कम्पास का त्रुटिया दूर करते है और सेट करते है !
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Disha Suchak Yantr
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अब हम इस पोस्ट के टॉपिक को आगे बढ़ाते है , दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने के लिए बहुत सारे उपक्रम और साधन है जिसके सहायत से हम दिन में उत्तर मालूम कर सकते है जैसे :
Dishaye
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- कंपास के सहयता से(Compass ke sahayat se) : यह उत्तर दिशा मालूम करने का उत्तम साधन है इसमें लगी हुई मैगनेट सुई का लाल रंग वाला सिरा हमेशा उत्तर दिशा की और इंगित करता है !
- सूर्य के सहयता से (Suraj ke sahayata se): सूर्य से भी हम उत्तर दिशा मालूम कर सकते है . सूर्य हमेश पूर्व में निकलता है तथा पश्चिम में डूबता है ! सुबह सूर्य निकलते समय अगर हम सूर्य के सामने मुह करके खड़ा हो जाये तो हमारे ठीक समाने पूर्व दिशा, पीछे की ताफ पश्चिम दिशा, बाएँ हाथ की तरफ उत्तर दिशा और दाहिने हाथ की तरफ दक्षिण दिशा होगी !
- इस प्रकार संध्याकाल में छुपते हुए सूर्य के तरफ मुह करके खड़े हो जाये तो मुख के सामने पश्चिम , हमारे पछे पूर्व, दाहिने हाथ की तरफ उत्तर तथा बाएँ हाथ की तरफ दक्षिण दिशा होगी !
- दोपहर १२ बजे के समय सूरज की छाया उत्तर दिशा की ओर होती है उस समय सामने उत्तर , पीछे दक्षिण , बाएँ हाथ की तरफ पश्चिम और दाहिने हाथ की ओर पूर्व दिशा होगी !
- इस प्रकार सूर्य हम ओते तौर पर दिन मतीन बार दिश ज्ञात कर सकते है ! केवल 21 मार्च और 23 दिसम्बर के दिन सूर्य मध्य रेखा पर होता है इसलिए इन दो दिनों में सूर्य ठीक पूरब में उगता है और ठीक पश्चम में डूबता है !जरुर पढ़े : कम्पास के प्रकार और इसके अहमियत
- कब्रिस्थान के सहयता से(Kabristhan ke sahayata se) : कब्रिस्थान में मुर्दे को दफनाते समय हमेश मुर्दे का सर उत्तर दक्षिण में रखते ही और डाफने के बाद कब्र पर सर की ओर जो की उत्तर दिशा में होता है एक बड़ा पत्थर रख देते है और पैर जो की दक्षिण दिशा की और होता है उधर एक छोटा पत्थर रकहते है ! इस प्रकार से हम कब्रिस्थान से भी दिशा को ज्ञात कर सकते है !
- मस्जिद के सहयता से(Masjid ke sahaya se): यद् हम भारत में मस्जिदों की बनावट देखे तो उसके ऊपर हमें दो बड़े इनर वाली दिवार और एक मेहराबदार गुम्बंद दिखाई देता है ! जिधर मुख करके मुसलमान लोग नमाज़ पढ़ते है ! ! इस बड़ी मीनार बलि दिवार के गुम्बद से अगर पीठ लगाकर मुह की ओर पश्चिम , पीठ की ओर पूरब , तथा दाहिने हाथ की ओर उत्तर और बाएँ हट की ओर दक्षिण दिशा होती है !जरुर पढ़े : सर्विस प्रिज्मैटिक लिक्विड कम्पास MK-iii के 20 पार्ट्स और उनके काम
- शिवालय के सहयता से(Shivalay kesahayata se) : शिव जी के मंदिरों में एक शिव लिंग बना रहता है . शिव लिंग से पानी जाने के लिए एक नाली बनी रहती है जो भक्तो जानो द्वारा चढ़ावा स्वरुप चढ़ाये गए जल और दूध के बहार जाने के लिए रहती है और ये नाली हमेशा उत्तर दिशा की और इंगित रहती है !
- बृक्ष के फल और पत्तो के सहयता से(Briksh ke phalaur pato se) : जब उत्तर दिशा मालूम करने में कोई बिधि सहायक नहीं होती हो तो फल दर या पाटों वाले पेड़ों से उत्तर दिशा मालूम करते है . फल दर पेड़ों में एक तरफ का फल थोडा पिला होता है और दूसरी तरफ का उतना पिला नहीं होता है ऐसे ज्याद सूर्य के किरणे पेड़ पे पूरब की तरफ से पड़ती है इस लिए पुर दिशा वाले फल पिला नजर आते है बनास्वत और दिशाओ , इस प्रकार से भी हम पुर दिशा ज्ञात कर बाकि दिशाओ को ज्ञात कर सकते है !
- वायु दिशा सूचक के सहयता से(Vayu disha suchak yantr ke sahayata se) : एअरपोर्ट या बड़ी बड़ी इमारतो इत्यादि पर वायु सूचक यंत्र लगे रहते है इनके ऊपर वाला भाग हवाचालने के रुख के मुताबिक आसानी से घूमता रहता है ! इसके बिच वाले भाग में चरों दिशाओ का संकेत लगे रहते है जो की स्थिर रहते है उस संकेतो के द्वारा भी हम दिशाओ की सही अनुमान लगा सकते है
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इस सब साधनों का उपयोग कर हम दिन के समय अंजन जगह पे बी उत्तर दिशा के साथ साथ बाकि सब दिशाओ की जाकारी हासिल कर सकते है !