जैसे की हम जानते है की मैप रीडिंग की सिखलाई का उद्देश्य सिर्फ सर्वे मैपो का पढना या समझना ही नहीं है बल्कि किसी भी जमीनी इलाके को कागज के ऊपर बना सकना भी जरुरी है ! मैप रीडिंग में कुशलता प्राप्त जवान के लिए यह जरुरी होता है की उनमे इतनी काबिलियत हो की जरुरत पड़ने पर किसी भी इलाके को कागज के ऊपर सही सही तरीके से प्रकट कर सके !
जरुर पढ़े:5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
इस पोस्ट में हम फील्ड स्केच के निम्न विषय के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे :
फील्ड स्केच |
1. फील्ड स्केच कितने प्रकार के होते है ?(Field sketch kitne prakar ke hote hai)
2. फील्ड स्केच बनाने के सिद्धांत कौन कौन से होते है ?(Field sketch banane ke siddhant kaun kaun se hote hai ?)
3.फील्ड स्केच बनने का तरीका कौन कौन से है ?(Field sketch banane ka tarika kaun kaun sa hai )
4. फील्ड स्केच बनाने के बाद कौन कौन सी बातो के ख्याल रखना चाहिए(Field sketch banaate samay dhyan me rakhne wali bate )
1. फील्ड स्केच कितने प्रकार के होते है ?(Field sketch kitne prakar ke hote hai): फील्ड स्केच निम्न प्रकार के होते है :
- प्लेन टेबल स्केच (Plane Table sketch)
- प्रिस्माटिक कंपास स्केच (Prismatic Compass sketch)
- त्रावेर्सिंग स्केच (Traversing sketch)
- हवाई फोट स्केच (Air photo sketch)
- टैक्टिकल स्केच (Tactical sketch)
- मेमोरी स्केच (memory sketch)
- ऑय स्केच(Eye sketch) (i) तयारी का(Taiyari ka sketch) (ii) जल्दी का स्केच(Hasty sketch)
2. फील्ड स्केच बनाने के सिद्धांत कौन कौन से होते है ?(Field sketch banane ke siddhant kaun kaun se hote hai ?):फील्ड स्केच निम्न सिद्धांतो पर बनाया जाता है :
- नियंत्रण (Control): फील्ड स्केच में दिखाई जाने वाली पोजीशन के रिलीफ को ट्रेनीज के द्वारा प्रकट करने में पूरी काबिलियत हो !
- पुष्टिकरण (Confirmation): हर करवाई को चेक बैक करके सत्यता का पुष्टिकरण किया जाए !
- निर्णय (Decision): जब तक पूरा यकींन न हो तो केवल अंदाजे से निर्णय नहीं लिया जाय
- निशान (Land Mark): फील्ड स्केच में दिखाए गए जमीनी निशानों को नियमानुसार चुना और प्लाट किया जाय !
3.फील्ड स्केच बनने का तरीका कौन कौन से है ?(Field sketch banane ka tarika kaun kaun sa hai ):फील्ड स्केच बनने की करवाई इस प्रकार से की जाती है :
- ढांचा (Out line): ऊपर निचे और दाहिने , बाये जरुरी खाना पूर्ति के लिए सामान जगह छोड़कर शेस कागज पर जमीनी इलाके को दर्शाने के लिए मुनासिब स्केल में घेर दे
- रुपरेखा (Frame Work):
- इसके बाद आधार रेखा बनाई जाती है जो की आपस में दिखाई देने वाले ऐसे दो निश्चित निशानों को जोड़ने से बनती है जिसमे स्केच का पूरा इलाका दिखाई देता है !
- अगर फिक्स्ड पॉइंट के लिए कुदरती निशान न मिले तो बनावती निशान लगाये जा सकते है ! जैसे लाल झंडे का पोल आदि !
- रूप रेखा की दूसरी आवश्यकता प्रमुख निशानों को चुनने की होती है !इनके लिए जमीनी निशान को सुविधा के अनुसार दो चार छ या आठ भागो में बाँट देते है
- और प्रत्येक भाग में एके एक ऐसा प्रमुख निशान छाटते है जिसके मदद से उस भाग की डिटेल्स को आसानी से भरा जा सके !
- ये निशान ऐसे हो की दोनों निश्चित निशानों से दिकाही देते हो !
- प्रमुख निशान जितने ही ज्यादा होंगे स्केच में उतनी ही काम गलतिय होंगी !
- प्रमुख निशान चुनने के बाद इनकी स्केच के ऊपर ठीक पोजीशन मालूम करके इन्हें स्केच के ऊपर पॉट कर लेते है !
- प्रमुख निशानों की सही जगह निम्नलिखित विधिओ के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है :
- इंटर सेक्शन (Inter Section)
- बेअरिंग और फासला के द्वारा (Bearing and distance)
- री सेक्शन (Re-section)
- फील्ड स्केच का रुपरेखा बनाने के बाद उसमे जमीनी डिटेल्स भरी जाती है !
- स्केच पर डिटेल्स को प्रमुख निशानों के मदद से भरा जाता है !
- और साथ ही जमीनी निशान के फासले , दिशा और बेअरिंग के मदद ली जाती है !
- किसी ख़ास निशान या डिटेल्स को इंटर सेक्शन या री सेक्शन के मदद से भी पूरा कर सकते है !
- ध्यान रखे की डिटेल्स भरने में सबसे ज्यादा तकलीफ रिलीफ दिखने में होता है !
- इलाके की सबसे निचे और सबसे उच्चे धरातल का अंतर मीटर या फूट में निकल कर उस इलाके की बनावट के अनुसार मुनासिब भागो में बाँट देते है जिसे स्केच का कंटूर इंटरवल माने जाते है !
- स्केच पर खिची गई प्रत्येक फॉर्म लाइन इसी अंतर पर खिंची जाती है !
- यदि सबसे निचे धरातल की समुंद्रतल से ऊंचाई मालूम न हा हो तो शून्य उचाई अजुम्ड डाटम लेवल को मान लेते है !
- जब स्केच पूरा बनकर तैयार हो जाता है तो आवश्यक डिटेल्स को संवार दे !
- महत्वपूर्ण डिटेल्स को मोटे आक्शारो से और साधारण डिटेल्स के नाम छोटे अक्षरों से डिटेल्स के कन्वेंशनल साइंस के दाहिने ओर लिख दे !
- स्केच पर इतनी लिखाई न की जाय की वह पढ़ा न जाय सके !
- फॉर्म लाइन जहा पर स्केच के हाशिया को छूती है वह पर उचाईया लिख दीजाती है !
- सभी फालतू रेखाओ और डिटेल्स को मिटाकर हाशिये को मोटा कर देते है !
- हाशिये पर संपत होने वाली सडको से निकटतम शहर की दुरी लिख देते है !
- स्केच में कोई अगर कोई पूल है तो उसकी किस्म लिखी जाए !
- नाहर /नदी के बहाव का रुख और गहरे – से लिखी जाए बहाव की दिशा को तीर के निशान से दिखाया जाय !
- अगर स्केच के इलाके का मैप है तो ऊपर दाहिनी तरफ मैप शीट नम्बर लिखा जाये !
- ऊपर हैडिंग स्केच के दाहिने तरफ नार्थ , स्केच के निचे तीनो तरह के स्केल , स्केल के निचे कंटूर इंटरवल और उसके निचे सुंची बनाई जाती है !
- सबसे निचे बाई ओर स्थान , दिनांक , समय , मौसम तथा दुरी कैसे नपी गई तथा दाहिने और बनाने वाले का नम्बर , रैंक , नाम तथा यूनिट लिख देते है !
- फील्ड स्केच का शीषक हमेशा जिस तरह बनाने वाले का मुह (face) होगा उसी तरफ लिखा जाय !
- मैप रीडिंग में दिशाओ के प्रकार और उत्तर दिशा का महत्व
- दिन के समय उत्तर दिशा मालूम करने का तरीका
- कन्वेंशनल सिग्न ,कन्वेंशनल सिग्न के प्रकार , कन्वेंशनल सिग्न बनाने का तरीका
- रात के समय उत्तर मालूम करने का तरीका
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- 5 तरीका मैप पे ऊपर खुद का पोजीशन को पता करने का
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