पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने एचएचएमडी के इस्तेमाल के बारे में जानकारी प्राप्त किया और अब इस नए ब्लॉग पोस्ट में हम रेंज कार्ड बनाने(Range Card Banane Ka tarika hindi me) के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
डिफेंस पोजीशन में रहते हुए यह बहुत जरूरी है कि डिफेंस पोस्ट के इर्द-गिर्द मशहूर निशानों के फासले हर एक जवान को मालूम हो जिसके आसपास दुश्मन पोजीशन ले सकते या वहां से गुजर कर हमारे ऊपर करवाई कर सकते। इन दुरुस्त फासलों की मदद से हमारी फायर यूनिट का हर एक जवान दुरुस्ती और आसानी से कम से कम वक्त और कम अमिनेशन से दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते। इसलिए रेंज कार्ड के ऊपर लिखा हुआ रेंज और जमीन निशान सही हो ताकि उस डिफेंस पोजीशन में कोई भी नया जवान आने पर रेंज कार्ड की मदद से हथियार का सही इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि आप एक सेक्शन कमांडर होने के नाते आप सभी को रेंज कार्ड बनाना आना चाहिए ताकि डिफेंस की लड़ाई को आसानी से जीता जाए।
1. उद्देश्य: डिफेंस कार्ड बनाने का उद्देश्य डिफेंस में रेंज कार्ड बनाना और उसे इस्तेमाल करने का तरीका सीखना है
2. भागों में बांट:इस ब्लॉग पोस्ट को अच्छे से समझने के लिए इसको निम्नलिखित भागों में बांटा गया है
- परिभाषा
- रेंज कार्ड बनाते समय जरूरी बातें और फायदे
- रेंज कार्ड बनाने का तरीका
- रेंज कार्ड का इस्तेमाल ।
3. परिभाषा: इस ब्लॉग पोस्ट के दौरान काम आने वाली परिभाषाएं इस प्रकार है :
- आम रुख(Aam Rukh) : दूर एक मशहूर निशान को जो की जमीन वारी के इलाके को दो हिस्सों में बांट दें बांटे उसे आम रुख कहते हैं।
- सेटिंग रे(Setting ray): डिफेंस पोजीशन के आगे और पीछे वह दो मशहूर निशान जो की रेंज कार्ड को सेट करने के काम आते हैं उसे सेटिंग रे कहते हैं।
- फिक्स्ड लाइनFixed line): प्राइमरी आर्क में चुनी गई वह फायर की लाइन जिस पर रात या खराब मौसम में LMG को फिक्स किया जाता है। इस लाइन पर दुश्मन के आने का अंदेशा होता है।
- आर्क ऑफ फायर(Arc of fire): किसी भी हथियार या फायर यूनिट का इलाका जिसमें आने वाले टारगेट को इंगेज करना उस हथियार या यूनिट की जिम्मेदारी होती है।
- प्राइमरी ऑफ फयर(Primary Arc of fire):यह आग हथियार या फायर यूनिट की पहली जिम्मेवारी होती है यहां से दुश्मन आने का ज्यादा अंदेशा होता है हथियार का फिक्स लाइन भी प्राइमरी आर के अंदर होता है।
- सेकेंडरी आर्क (Secondary arc of firer) :यह आर्क हथियार या फायर यूनिट की दूसरी जिम्मेवारी होती है इस एरिया में तभी फायर किया जाएगा जब हथियार या फायर यूनिट प्राइमरी आर्क में फायर न कर रहा हो।
- मदद का निशान9Madd ka nishan): वह निशान जिसकी मदद से टारगेट का बयान किया जाता है उसे मदद का निशान का कहा जाता है।
4. रेंज कार्ड बनाते समय जरूरी बातें और इसके फायदे:(Range Card Banate samay dhyan me rakhnewali baate)
A.जरूरी बातें
Range Card |
- रेंज कार्ड सही जगह से बनाया जाए
- रेंज सही नापा होना चाहिए
- आम रुख और सेटिंग रे को मोटी रेखा से बनाएं
- जमीन पर निशान नजर आने चाहिए और अलग-अलग रेंज पर हो
- और एक ही नाम से ना हो।
- जमीन निशान का कन्वेंशनल साइन बनाओ
- फिक्स लाइन को गहरे रंग से लाइन खींचो।
- प्राइमरी और सेकेंडरी आर्क ओवरलैप होनी चाहिए।
- दाहिनी और बानी बाएं हाथ का दूसरे मोर्चे से सेफ्टी एंगल होना चाहिए।
B.रेंज कार्ड बनाने के फायदे(Range Card banane ke fayde) :
- रेंज कार्ड से पूरे जिम्मेवारी के इलाके के बारे में तफसील से जानकारी मिल जाती है।
- मदद के निशान से आसपास के निशानों का सही रेंज मिलता है।
- टारगेट पर सही और कारगर फायर डाला जा सकता है।
- डिटैचमेंट की बदली होने पर यूनिट के अंदर या नई यूनिट पोजीशन टेक ओवर करते वक्त बहुत मदद देता है।
- अगर किसी कारण से हैंडिंग ओवर टेकिंग ओवर ठीक ना हो सके तब भी रेंज कार्ड की मदद से नए डिटैचमेंट को अपने इलाके और उसके बारे में पूरी जानकारी मिल सकती है।
- किसी कमांडर या वीआईपी को ब्रीफ करते समय भी रेंज कार्ड मदद देता है।
- रेंज कार्ड की जानकारी होने के बाद में आसानी से दुश्मन को बर्बाद कर सकता है।
5. रेंज कार्ड बनाने का तरीका(Range Card Banane ka tarika)
- डिफेंस में रहते हुए हमें चारों तरफ का बचाव करना पड़ता है इसलिए जरूरी है कि चारों तरफ का बचाव हासिल करने के लिए चारों तरफ के निशानों का रेंज कार्ड बनाया जाए।
- रेंज कार्ड बनाते समय तफ्सील से टास्क और जिम्मेवारी के इलाके का सोच विचार किया जाए।
- हर एक मुख्य हथियार के हर एक पोजीशन के लिए रेंज कार्ड बनाया जाए।
- सबसे पहले रेंज कार्ड का खाका बनाओ
- सामने एक मशहूर चुनो जो कि इस पोजीशन आम रुक होगा।
- निशान को रेंज कार्ड में दर्ज करो।
- दो सेटिंग रे बनाएं एक आगे और एक पीछे इसके लिए दो मशहूर चुने।
- अपने पोजीशन से निशानो का कंपास से बेअरिंग ले और इसे रेंज कार्ड में दर्ज करें।
- सेटिंग रे चुनने का यह फायदा है कि इसकी मदद से हम एक रेंज कार्ड को जमीन पर सेट या ओरिएंट कर सकते हैं।
- उसके बाद पोजीशन की बाएं और दाहिने हद चुने और इन्हें रेंज कार्ड में शामिल करो।
- अपने इलाके में दो या तीन मदद के निशान बांटो जो कि टारगेट को दिखाने के काम आएंगे।
6. मदद के निशान चुनते समय ध्यान में रखने वाली बातें।(Madd ka nishan chunte samay dhyan me rakhnewali baate)
- एक दूसरे से 19 डिग्री से बाहर हो
- 1 डिग्री से बड़ा हो तो किनारा चुना जाए
- हर एक को नाम दिया जाए।
- एक ही नाम से ना हो।
- इतने चुने जाएं कि पूरे जिम्मेवारी के इलाके को कवर कर सकें (इंडिकेशन ऑफ़ लैंड मार्क) के लिए !
- अलग-अलग रेंज पर हो।
- निशान बाकी निशानों से मशहूर हो।
- आपके जिमेवारी के इलाके को प्राइमरी आर्क और सेकेंडरी आर्क में बांटो
- ध्यान रखें कि इन दोनों के बीच में ओवरलैप हो।
- इसके लिए जिम्मेवारी के इलाके के बीच में एक निशान चुनो और इस इलाके को दो भागों में बांट दो।
- प्राइमरी आर्क के बीच में फिक्स लाइन चुने !
- यह एक मशहूर निशान होना चाहिए इस पर फिक्स लाइन लिखो और रेंज भी लिखो।
7. फिक्स लाइन चुनते समय ध्यान में रखने वाली बातें(Fixed line chunte samay dhyan me rakhnewali baate):
- फील्ड ऑफ फायर साफ हो
- दुश्मन के मुमकिन आने वाले रास्ते पर चुनी जाए
- प्राइमरी आर्कके अंदर हो
- रेंज ज्यादा से ज्यादा 700 मीटर तक हो
- साइटों के ऊपर सही रेंज लगाए जाएं
- दिन के समय लगाई जाए
- फायर प्लुन्जिंग ना हो।
- आखिर में रेंज कार्ड बनाने की जगह
- रेंज कार्ड बनाने वाला फासला नापने का तरीका
- डेट और मौसम लिखो।
- दाहिने तरफ अपना नंबर रैंक नेम और यूनिट लिखो।
इस प्रकार से रेंज कार्ड बनाने से सम्बंधित यह ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा !उम्मीद है की यह पोस्ट आप को पसंद आएगा ! अगर कोई कमेंट होतो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग सब्सक्राइब औत फेसबुक पर लाइक करे और हमलोगों को और अच्छा करने के लिए प्रोतोसाहित !
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