पिछले ब्लॉग पोस्ट में हमने camouflage aur Concealment के बारे में जानकारी प्औराप्रत किया और इस ब्लॉग पोस्ट में हम जमीनी निशान एवं टारगेट का बयां एवं पहचान को आसन शब्दों में समझने की कोशिस करेंगे ! यह पोस्ट कांस्टेबल रेक्रुइट्स और न्यू अग्निवीर(Agniveer) रेक्रुइट्स के लिए काफी सहायक होगा ! हमे उम्मीद है की आर्म्ड फाॅर्स के नए रेक्रुइट्स के साथ साथ यह पोस्ट अग्निवीर आर्मी(Agniveer Army) , अग्निवीर एयरफोर्स(Agniveer Airforce) या अग्निवीव्र नेवी(Agniveer Navy) सभी के बेसिक ट्रेनिंग के दौरान हेल्प करेगा
जमीनी निशान एवं टारगेटों का बयान एवं पहचान उद्देय-
ऑपरेशन के दौरान के जबानी हुक्मो के लिए जिन जमीनी निशानों की आवयकता होती है। उनको बयान करने तथा टारगेटों का बयान और पहिचान करने की सिखलाई देना है।
जबानी हुक्म में सम्बंधित कुछ शब्दों का परिभाषाएँ –
चन्द शब्दो की परिभाषायें, जो जबानी हुक्मों में दिये जाते हैं, निम्नलिखित है-
(क) मदद के निशान ( Reference Point) –
पहले से नियुक्त किये हुयें वह निशान जिनकी मदद से किसी दूसरे निशान का बयान किया जाता है !
(ख) टारगेट –
वह निशान जहाँ पर किसी शस्त्र से फायर किया जाता है, या जो फायर कराने के लिए नियुक्त किया जाता है ।
(ग) जमीनी निशान (Land Marks) –
वह जमीनीं निशान जो किसी फौजी क्रिया (Operation) के निमित्त जबानी हुक्म देने के लिए इस्तेमाल किया जाये, जमीनीं निशानों को यदि आवयक हो तो दूसरे जमीनी निशानों को बयान करने के लिए मदद के निशान के तौर पर भी प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए “गोल दरख्त” बतलाया जा चुका जमीनी निशान है, और उसकी मदद से “लम्बी झाड़ी” का बयान करना है तो कहा जायेगा कि “गोल दरख्त दाहिने लम्बी झाड़ी” इस दौरान में गोल दरख्त को लम्बी झाड़ी का बयान करने के लिए मदद निशान के तौर पर प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी जमीनी निशान टारगेट भी हो सकता है।
जमीनी निशान बयान करने के सिद्धान्त-
जहाँ तक सम्भव हो सके निशानों को बयान करने के लिए स्वयं आसान और तेज तरीका प्रयोग करना चाहिए !उदाहरणार्थ यदि आप के सामने एक ही मन्दिर हो तो “सामने मंदिर” इतने ही बयान से इस निशान को भली प्रकार समझाया जा सकता है। जब निम्न को बयान करना कठिन हो तो अन्य वस्तुओं से सहायता लेनी चाहिए। मदद के साधन निम्नलिखित हैं-
(क) सिम्त और फासला (Direction and Range)
(ख) मदद के लिए निम्न ( Reference Point)
(ग) घड़ी (Clock)
(घ) अंगुल और बालित
(ड.) डिग्री का इस्तेमाल
बयान करने का तरीका
आमरूख(aamrukh)-
सबसे पहले आमरूख (General Line of Direction) देना चाहिए आपको शस्त्र ज्ञान के पाठों में भी आमरुख के बारे में पहले ही बतलाया जा चुका है, यह निन काफी दूर होना चाहिए उस समय नाम देने की कोई आवयकता नहीं बतलाई गयी थी। इसके अतरिक्त इसके बाद से इस्तेमाल करने की दीगर कोई जरूरत नही थी, परन्तु मौखिक आदो के अन्दर काफी निशान भी काफी दूर हो सकते है । यदि आमरूख के निशान की आवयकता पड़े तो उसे भी जमीनी निशान के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। इस दा में और निनों की तरह इसका भी नाम देना चाहिए। यदि आम रूख वाले निन किसी दुसरे निशान के बयान करने के लिए मदद के तौर पर प्रयोग करना हो तो भी नाम देना जरूरी है, यदि आप को जबानी हुक्मों में आम रूख केवल सिस्त जाहिर करने के लिए प्रयोग करना हो और बाद में जमीनी निशान या मदद के तौर पर प्रयोग करने की आवयकता न हो तो नाम देने की कोई जरूरत नहीं है। सिम्तो का प्रयोग करना आमरूख से सिम्त कायम की जाती है उदाहरण के तौर पर “एक चौथाई बायें छोटी टेकरी” अर्थात् आमरुख एक चौथाई बांयें। सिम्त के बयान के लिए आमतौर पर निम्नलिखित मानक प्रयोग किये जाते हैं।
(क) थोड़ा दायें या बायें – प्रायः 11 1/2 डिग्री तक
(ख) एक चौथाई दायें या बायें- प्रातः 22 1/2 डिग्री तक
(ग) आधा दायें या बायें- प्रातः 45 डिग्री तक
(घ) तीन चौथाई बांये या दायें प्रातः 67 1/2 डिग्री तक
(ड) पूरा दायें या बांये- प्रातः 90 डिग्री तक
आसान निशानो का बयान-
आसान निशानका शीघ्र से शीघ्र थोड़े शब्दों में हो । उसके बाद जो निशान को बतलाना हो उसे देखों कि वह अंक घड़ी के किस अंक की सीधाई में आता है। खज्जी मदद का निशान बायें 08 बर्जे, गोल झाड़ी दुश्मन का पोस्ट, घडी का इस्तेमाल करते समय 12 और 06 बजे के लिए सिम्त का प्रयोग करते है । गोल घड़ी का इस्तेमाल करते समय जहाँ तक सम्भव
डिग्री का प्रयोग-
यह तरीका उस समय प्रयोग में लाया जाता है जब कि निशान पहचानने में अधिक कठिनाई हो । यदि घड़ी के बजे की लाइन में एक ही प्रकार के अधिक निशान हो तो निशान को साफ प्रकट करने के लिए घड़ी के साथ-साथ डिग्री का प्रयोग किया जा सकता है।
उदाहरण – “खज्जी बॉयें 08 डिग्री झाड़ी” ।
डिग्री का नापना-
(क) दूरबीन से– यह दूरबीन के अन्दर शीी से होते है जो कि किसी निशान के देखने समय देख सकते हैं।
(ख) हाथ से: यह तरीका अन्दाजे के तौर पर परन्तु काफी ठीक होता है फिर दिये हुए तरीकों के अनुसार बयान कर सकते है।
उदाहरण ‘सामने टोली’ बयान
सिम्त की सहायता से जब कि निशान काफी मशहूर और अपने किस्म का एक ही हो और सादा बयान द्वारा पहिचानने में कठिनाई हो तो सिम्त की मदद ली जाती है। उदाहणार्थ – आधा बांये ‘बगीचा’ कुछ परिस्थितियों में सिम्त की सहायता से एक निशान को दूसरे निशान की मदद लेकर भी बयान किया जा सकता है।
उदाहरण – ‘आधा बांये गोल दरख्त बांयें छोटी झाड़ी’ ।
सिम्त और रेंज का प्रयोग करना-
कभी-कभी सिस्त के साथ-साथ रेंज का भी इस्तेमाल किया जाता है ।
उहारण – ” आधा बांये 600 गज मकान” ।
मुश्किल निशानों बयान-
मुश्किल निशानों का बयान करने के लिए निम्नलिखित मदद की वस्तुओं का प्रयोग किया गया है- मदद के निशानों का प्रयोग – स्त्र-ज्ञान में सिखाया जा चुका है कि मदद के निशान, दी हुई हदों में पहले ही से नियुक्त कर दिये जाते हैं। किसी मुश्किल निशानों को बयान करने के लिए पहले बयान करने का नाम दिया है। “गोल दरख्त” यदि इसके दाहिने पर कोई निशान हो तो इसकी मदद से बयान कर सकते है ।
उदाहरण – ‘8 गोल दरख्त, दाहिनें झाड़ी’ यदि कोई निशान जो कि मदद के निम्न के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है और वह 1 डिग्री ज्यादा फैलाव का हो तो उसके मध्य या किसी किनारे आदि का खास नाम लेकर दूसरे निशान को बयान किया जा सकता है।
घड़ी का प्रयोग –
यदि मदद के निशान के बांये या दाहिने एक ही प्रकार के अधिक निम्न भिन्न-भिन्न सिम्तो में हों तो उनको केवल बॉये दाहिने कह कर पहचानना कठिन होगा जैसे यदि पुल के दाहिने तीन या चार मकान हो तो यह मालूम करना मुकिल होगा कि कौन सा मकान है ऐसी सूरत में बयान को साफ करने हेतु एक और मदद का प्रयोग किया जाता है। जो घड़ी का तरीका कहलाता है। इसको प्रयोग करने के लिए सबसे पहले एक फर्जी घड़ी के मध्य को उस निम्न पर रखों जिसे मदद के निशान के तौर पर प्रयोग कर रहें हो। घड़ी का 12 अंक सीधा सामने को 6 अंक अपनी तरफ, 03 दाहिनें और 09 बांये पर भी प्रत्येक आदमी को अपने हाथ से निम्नलिखित ढंग के अनुसार नाप पर विवास कर लेना चाहिए। डिग्री बांये से नापनी चाहिए, क्योकि एक तो जवान के पास दाहिनें हाथ में कोई न कोई हथियार होता है इसलिए उसको बांये हाथ से नापना आसान होगा। दूसरे यह देखा गया है कि मनुष्यों के बायें हाथ का नाप लगभग बराबर होता है। नापते समय याद रखना चाहिए कि बाजू को पूरा तानकर रखा जाय वर्ना डिग्री पढ़ने में अन्तर पड़ जायेगा ।
रायफल, एल०एम०जी० के फोर साइट और फोर साइट प्रोटेक्टर से-
रायफल/एल०एम०जी० से डिग्री का नाप नीचे चित्र में प्रकट किया गया है इस तरीके से मदद लेते समय रायफल / एल०एम०जी० एमिंग पोजीशन में होनी चाहिए ।
अंगुल और बालित का प्रयोग करना-
यह भी एक अन्दाजा करने का तरीका है और इसमें भी बांये हाथ का प्रयोग किया जाता है। एक आँख को बन्द करके दायें व बांये का ख्याल रखते हुए अंगुली को मदद के निशान से मिलायों । उदाहरण – “दोहिने एक बजे 02 अंगुल छोटी झाड़ी” । इसी प्रकार से पूरे हाथ का भी प्रयोग किया जा सकता है जिसको बालित कहेंगे।
उदाहरण – ” दरख्त, दाहिने, दो बजे, एक बालित, झोपडी”। एक बालित से ज्यादा फर्क नही नापना चाहिए। यह तरीका घड़ी के साथ या अकेले दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
डबल इंडिकेशन (Double Indication ) –
जब कोई निशान पहले निम्न से एक बालित से ज्यादा दूर हो जिसकों बयान करना या पहिचानना कठिन हो तो यह प्रयोग किया जाता है
उदाहरण – “दरख्त, बांये, 8 बजे, एक बालित, अकेला मकान, बांये 08 बजे 03 अंगुल, काला चट्टान ।”
बतायें हुए निशानों की पुष्टि (Cheek Back ) –
बतलाने वाला यह यकीन करने के लिए यह कार्यवाही करता है कि समझनें वाले अमुक निशान को समझ गये हैं या नहीं। यकीन करने के लिए बताये हुए निशान का नाम लेकर “चेक बैंक” बोला जाता है। उदाहरण- चेक बैंक “दरख्त” चेक बैंक करने के लिए बताये हुए निशान को मदद के निशान के तौर पर प्रयोग करके किसी दूसरे निशान का प्रयोग करता है जैसे “दरख्त” दोहिनें, 02 बजे, 02 अंगुल झाड़ी।
नहीं देखा (Not Seen ) –
जिस समय बयान हुआ निशान में से किसी की समझ में आये तो वह “नही देखा” कहें। तो फिर से बताने वाला फिर दूसरी मदद का प्रयोग करते हुए उस निशान का बयान करें और यकीन करें कि निशान समझ में आ गया है अथवा नहीं।
चयन करने की विधि-
शस्त्र प्रशिक्षण (Weapon Training) में सिखलाया जा चुका है कि दी हुई हदों में मदद के निशान या जमीनी निशान या जमीनी निशान बांये से दाहिने को बयान किये जाते हैं क्योंकि इस से तमाम निशान आपके सामने के इलाके में दी हुई हदों के अन्दर होते हैं। परन्तु ऑपरेशन के जबानी हुक्म (Verbal Order) देने के लिए आवयक जमीन के निशान आपके सामने “बांये” और “पीछे” भी हो सकते हैं। इसलिए निम्नांकित तरीका प्रयोग में लाया जाये ।
(क) पहले आम रूख (General Line of Direction) में बतलाया जाये ।
(ख) घड़ी के सीधे रूख जमीनी निनों (Land Marks) का बयान किया जाये । बयान करते समय कोई भी निशान जो कि दूसरे निशानों का बयान करने में मदद दे, पहले बयान किया जा सकता है।
(ग) आम रूख या कोई निशान जब कि किसी ऊँची जमीन पर हो तो साथ ही बयान कर देना चाहिए। बाद में ऊपर भाग “ब” में दिये हुए निनों कमानुसार बयान करना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)–
इस बात को हमें याद रखना चाहिए कि निशान जहाँ तक हो सके आसान तरीके से बयान किया जाय, जो निशान कुछ मुश्किल हो उनकी उचित सहायता लेकर बयान किया जाय। थोड़े अभ्यास से यह काम आसानी से किया जा सकता है।
अभ्याश :
1. दो जवान, एक रायफल के साथ एक एल०एम०जी० के साथ। दोनो का इलाका बताया जाय और तारगेट बताकर कहा जाय कि उस जगह से फायर किया जा रहा है। इस इलाके में उस जगह (तारगेट) पर फायर गिराने के लिए अच्छी फायर पोजीन चुनों जब वे जवान पोजीन ले लें तो शेष जवानों से उस पोजीन पर टिप्पणी करायी जाये। उन बातों के अतिरिक्त जवानों से यह भी पूछा जाये कि-
(क) क्या इससे अच्छी आड़ नहीं चुनी जा सकती थी ?
(ख) क्या इस पोजीन से शत्रु पर अचानक फायर डाला जा सकता है ?
(ग) क्या यह पोजीन किसी साफ दृष्टिगोचर होने वाले प्रसिद्ध निशान के निकट तो नहीं हैं ?
2.(क) अब पोजीन में जो गलती हो उस जवान को बतायी जाय। कोई दूसरा जवान जो उससे अच्छी फायर पोजीन चुन सकने को तैयार हो उसे नई पोजीन चुनने का आदो दिया जाये। बाकी जवानों को एल०एम०जी० के पास ले जाया जाये, और उस पोजीन पर भी इसी तरह टिप्पणी की जाये। यदि सब जवान उस पोजीन को अच्छी बतालायें तो उनको 50 गज दूर भेज दिया जाय। जवान लेटने की पोजीन से देखें कि यह पोजीीन शत्रु की दृष्टि से छुपी हुई है या नही ? फिर वापस बुलाकर बहस की जाये। इसी तरह जवानों को अभ्यास कराया जाये ।
(ख) थोडी-थोड़ी देर के बाद इलाका और तारगेट बदलते रहना चाहिए। अभ्यास के लिए आरम्भ में जवानों को अधिक समय दिया जाय और बाद में धीरे-धीर इसे कम कर दिया जाए ।
3- (क) जवानों को इकट्ठा करके उनकी बड़ी गलतियों को बताया जायें।
इसके साथ ही जमीनी निशान एवं टारगेटों का बयान एवं पहचान से सम्बंधित या ब्लॉग पोस्ट समाप्त हुवा उम्मीद है की यह पोस्ट आपको पसंद आई होगी . हमारे फेसबुक पेज को लिखे करे