इस ब्लॉग पोस्ट में हम जानेगे ड्रिल के विषय में जिसका शीर्षक होगा “फूट ड्रिल और उसको करने का उसूल (Foot drill aur usko karne ka usul” इस पोस्ट को अच्छे तरह से समझने के लिए इसे छोटे छोटे भागो में बंटा गया गया है जिससे के की आसानी से समझा जा सके !
जैसे की हम जानते है की ड्रिल सबसे पहले जर्मन के सेना में 1666 में सुरु हुवा जिसे सुरु करने वाले थे मेजर जनरल डराल जो इससे इस उद्देश्य से सुरु किया की फ़ौज के ऊपर एक कण्ट्रोल और अनुशासन बनाये रखने के लिए ड्रिल जरुरी है !
उन्होंने अपने अनुभव से यह महसूस किया था की पिछली लड़ाईओ में ड्रिल ही डिसिप्लिन के बुनियाद रखने में बहुत सहायक है और यह सब अनुभव के बाद उन्होंने जर्मन की फ़ौज में ड्रिल की सुरुवात की और उसके बाद ड्रिल का प्रचाल संसार के और सभी फ़ौज में धीरे धीरे हुवा !
इस पोस्ट के हमने निम्न भागो में बनता है :
1. ड्रिल का परिभाषा(foot drill ka paribhasha) : किसी प्रोसीजर को क्रमवार और उचित तरीके से अनुकरण करने की करवाई को ड्रिल कहते है !
2. ड्रिल के प्रकार(Drill ke prakar) : ड्रिल दो प्रकार के होते है जिसका नाम इस तरह से है :
- ओपन ड्रिल(Open drill kya hota hai) : यह ड्रिल फील्ड में की जाती है
- क्लोज ड्रिल(Close drill kya hota hai) : यह ड्रिल ट्रेनिंग ग्राउंड या पिस अरेरा में की जाती है !
3.ड्रिल का मकसद(Drill ka makshad kya hota hai ) :
ड्रिल का मकसद एक सैनिंक में हुक्म मानने की आदत का ऐसे अंदरूनी मादा पैदा करना है जो उसे अपने फर्ज को अंजाम देने में हर समय मदद करे! यानि दुसरे शब्दों में कहे तो एक सनिक की इस प्रकार से बनाया जाये की वह आदेश के पालन अच्छी तरह से करने वाला बन जाए !
4. ड्रिल का प्रभाव(Drill ka prabhaw ) :ड्रिल का प्रभाव निम्न प्रकार का होता है :
- ड्रिल डिसिप्लिन का बुनियाद है !
- ड्रिल से मिलकर काम करने की और हुक्म मानने की आदत पार्टी है !
- ड्रिल ऑफिसर , JCO और UO को कमांड और कण्ट्रोल सिखाती है !ड्रिल ड्रेस पहनना और चलना फिरना सिखाती है !
- ड्रिल को देख कर किसी यूनिट के डिसिप्लिन और मोरल का पता लगाया जा सकता है !
5.ड्रिल के उसूल(Drill ke usul kya hota hai) : ड्रिल के उसूल इस प्रकार है :
- स्थिरता (Steadiness)
- स्मार्टनेस (Smartness)
- मिलकर काम करना (Milkar kaam karna)
6. फूट ड्रिल के उसूल(Foot dril ka usul kya hota hai) : फूट ड्रिल के उसूल इस प्रकार
- पाँव को तेजी से बहार निकलना (Shoot the foot forward)
- घुटने को तेजी से झुकाना (Bend the knee double time)
- ठीक वक्फा (Correct pause )
7. ड्रिल के बुरी आदते(Drill ke buri aadate kaun kaun si hai ) : ड्रिल के कुछ बुरी आदते इस प्रकार से है :
- आँख का घुमाना
- कूदना और फुदकना
- पांव को घसीट कर चलना
- एडियो को टकराना
- बूट में अंगुलियो को हरकत देना
- अन्य अवशक हरकत करना
जरुर पढ़े:खड़े खड़े सलूट का तरीका और जरुरत
8. ड्रिल के ट्रेनिंग एड्स(Drill ke training aids kaun kaun se hote hai) : निम्न लिखित ट्रेनिंग एड्स ड्रिल में मदत देते है :
- पेस स्टिक
- बेक स्टिक
- एंगल बोर्ड
- समय सूचक
- ड्रम और ड्रमर
9. ड्रिल की सिखलाई देने की तरतीब(Drill ki sikhlai dene ka tartib kya hota hai ) :ड्रिल इंस्ट्रक्टर के लिए स्क्वाड को ट्रेनिंग देने की तरतीब :
- स्क्वाड उस्ताद के गिर्द आधे देरे में हो
- स्क्वाड का मुंह सूरज और सड़क के बरखिलाफ हो
- ड्रिल ट्रेनिंग ऐड स्क्वाड से 15 कदम की दुरी पर हो
- ड्रिल ट्रेनिंग ऐड स्क्वाड के नजदीक हो
- पिछले सबद की दोहरे ली जाय
- उद्देश्य बताएं
- दुरुस्त नमूना दे
- गिनती से नमूना दें
- गिनती और बयाँ से नमूना दें
- अगर गिनती नहीं है तो बयाँ से नमूना दें
- अगर सबक लम्बा है तो एक मूवमेंट और उसकी विवरण दे
- गिनती से अभ्यास और वर्ड ऑफ़ कमांड उस्ताद का
- खुसी से अभ्यास और वर्ड ऑफ़ कमांड उस्ताद बताये
- समय पुकारते हुए अभ्यास वर्ड ऑफ़ कमांड उस्ताद बताएं
- स्क्वाड के दो अच्छे जवानों का नमूना
- कोई शक और सवाल
- संक्षेप
10 उस्ताद के गुण(Achchhe ustad me kaun kaun se gun hona chahie) :एक अच्छे ड्रिल इंस्ट्रक्टर में निम्नलिखित गुण होने चाहिए :
- फुर्तीला हो
- ड्रिल में की जाने वाली हरकतों का दुरुस्त नमूना दे सके
- क्लास को सिखाली साफ़ और दुरुस्त तरतीब से दे सके
- स्क्वाड के गलतियो को फ़ौरन अच्छी तरह से दुरुस्त कर सके
- वर्ड ऑफ़ कमांड अच्चा और उच्चा दे सके
- क्लास में कभी भी ढीलापन न आने दे
- हमेशा ऊँचे दर्जे के दिसिप्लिने को कायम रेक
- सहनशील हो
- निष्पक्ष हो
- शारीरिक गठन स्मार्ट हो
11. सिखलाई के पीरियड और बन्दोंबसत(Drill ke sikhlai aur bandobast me kya dhyan rakhe) : इस दौरान ध्यान में रखने वाली बाते निम्न है :
- ड्रिल तरतीब से सिखाई जाए
- ड्रिल के एक हरकत पर 15 मिनट से ज्यादा समय न दिया जाए !
- एक पीरियड 40 मिनट से ज्यादा न हो
- रिक्रूट/कैडेट्स की ट्रेनिंग के दौरान एक दिन में 3 पीरियड से ज्यादा न चलाये जाए !
- उस्ताद को चाहिए के सबक के आखरी 5 मिनट में स्क्वाड जो हरकत अच्छी तरह कर सकता है उन हरकतों को जिससे जवान को अपने काम पर भरोसा हो जाता है !
- स्क्वाड को छोड़ने से पहले उनका शक या सवाल दूर कर दिया जाए !
इस प्रकार से हम परेड ड्रिल की शुरुवात और उसे कराने का तरीका और उस्ताद के गुण के बारे में हम इस पोस्ट में जा सके ! उम्मीद है की पोस्ट पसंद आएगा !अगर कोई सुझाव हो तो निचे के कमेंट बॉक्स में जरुर लिखे ! इस ब्लॉग को सब्सक्राइब और फेसबुक पेज लाइक करके हमलोगों को और प्रोतोसाहित करे !
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