म़ोब के बारे में कहा जाता है की म़ोब के पास चेहरा रहता है लेकिंन बिना दिमाग का ! कोई नहीं जनता है की म़ोब किस समय क्या कर देगा ! अगर उसे सही से कण्ट्रोल नहीं किया जाय तो वह बहुत ही घातक साबित हो सकता है लॉ & आर्डर के ख्याल से बहुत बड़ा समस्या खड़ा कर सकता है !
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इसलिए म़ोब को डिस्पेर्स करते समय म़ोब के साथ उलझना नहीं चाहिए बल्कि उसे टैक्टिकल डील करना चाहिए ! म़ोब को डील करने के साथ कमांडर के पास सहन शक्ति होना बहुत जरुरी होता है ! अगर जज्बाती हो कर काम किया जायेगा तो म़ोब भड़क जायेगा और बड़ा उग्र रूप धारण कर लेगा !
ट्रेनिंग के दौरान म़ोब कण्ट्रोल के कुछ सिद्धांत के बारे में बताया जाता है जो की निम्न है :
म़ोब कण्ट्रोल |
1.अनलॉफुल असेंबली को नैतिक तथा मनोबैज्ञानिक प्रभाव के द्वारा डिस्पेर्स करे(Unlawful assembly ko manovaigyanik tarike se niyantrit karna) : इस विधि में हम म़ोब को ज्यादा से ज्याद समझाने के बारे में कोशिश करते है और बातो में उलझा के रखते है ! और नैतिकता की बहुत सारे बाते करते है जिससे यह होता है की बहुत से लोग जो उस म़ोब में सामिल है और अच्छे सवभाव के है जिन्हें म़ोब लीडर के द्वारा बहला फुसला के लाया गया है ओ वहा से जाने लगते है और म़ोब में कमी आने लगती है !
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अगर हम म़ोब को बातो में बहला फुसला के रखे तो बहुत देर होने पे म़ोब के अन्दर उपस्थित उर्जा की कमी होने लगती और वह भूख प्यास से ज्यदा देर तक नहीं रह सकते है जिसके कारन म़ोब के उत्साह में कमी आएगा और म़ोब के बहुत सारे लोग चले जायेंगे और धीरे धीरे म़ोब डिस्पेर्स हो जायेगा !
इस प्रकार से हम और भी बहुत सारे म़ोब को मनोवैज्ञानिक तरीके अपना कर म़ोब से डील करते है !
2.बल का कम से कम तथा असर कारक प्रयोग(Bal ka kam se kam leking asardar prayog karna) : उपद्रवी समूह को नियंत्रित करने के लिए बल के प्रयोग करते समय की जाने वाली ड्रिल इन्ही सिद्धांतो पर आधारित है !
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म़ोब /रायट नियत्रण ड्रिल की सफलता कम से कम बल का प्रयोग , जनता को कम चोट, समाप्ति का कम नुकसान तथा उग्र समूह का तुरंत बिखराव और सामान्य स्तिथि कायम करने मैं ही निहित होती है इसलिए ड्रिल में निम्न बातों का समावेश होना चाहिए :
- बल का प्रदर्शन(Police bal ka pardarshan karna) : म़ोब कण्ट्रोल ड्रिल के दौरान पुलिस बल जो म़ोब कण्ट्रोल में लगाया गया है उसका पुरे इक्विपमेंट के साथ पर्दर्शन कारन चाहिए जिससे की म़ोब में सामिल लोगो को पता चल जाए की पुलिस बल की संख्या काफी है और उस डर से भी म़ोब के बहुत से लोग भाग जाते है और म़ोब डिस्पेर्स हो जाता है !
- समूह लीडर को समझाना(Leader ko smajhana) : म़ोब के समूह लीडर को समझाना और उन्हें प्रेरित करना की वह या तो अपना जो दुःख तकलीफ है उसे लिख कर दे और सम्बंधित अधिकारी से उनका बात करा देना चाहिए ! समुह लीडर को प्रेरित करना की आप आदालत में जाओ वहा से डायरेक्शन ले कर आओ !
- समूह को विधि विरुद्ध घोषित करना(Mazma ko unlawful declared karna) : अगर ऊपर बताये हुए तरीके से मजमा तितर बितर नहीं होता है तो उसे विधि विरुद्द घोषित करना चाहिए जो की मजमा कण्ट्रोल करने के लिए उपस्तिथ एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के द्वारा किया जाता है ! यानि एक मज़म को एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट या उसके अनुपस्तिथि में थाना अधिकारी या कोई और अधिकारी ही विधि विरुद्ध घोषित कर सकता है और कानून के अनुसार करवाई कर सकता है !
- बल का वास्तविक प्रयोग(Effective force ka istemal karna) : एक बार मजमा विधि विरुद्ध घोषित हो गया तो उसके बाद भी अगर वह मजमा स्थल नहीं छोड़ता है तो उसके खिलाफ बल का प्रयोग कर के तितर बितर किया जाता है ! बल का प्रयोग करते समय ध्यान में रखना चाहिए की कम से कम लेकिन वास्तविक बल का प्रयोग हो और मज़म को तितर बितर किया जाय.
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